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महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को बड़ा झटका, कोर्ट ने कहा- न्यायिक हिरासत बढ़ाना अवैध नहीं

तकनीकी आधार पर जमानत के लिए देशमुख की अर्जी को विशेष पीएमएलए न्यायाधीश आर एम रोकड़े ने 18 जनवरी को खारिज कर दिया था।

Anil Deshmukh, Anil Deshmukh Bail, Anil Deshmukh Bail Plea, Anil Deshmukh ED- India TV Hindi Image Source : PTI मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अनिल देशमुख की न्यायिक हिरासत बढ़ाना अवैध नहीं है।

Highlights

  • देशमुख को 2 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं।
  • ईडी ने देशमुख की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि चार्जशीट निर्धारित समय के भीतर दाखिल की गई थी।
  • देशमुख की अर्जी को विशेष पीएमएलए न्यायाधीश आर एम रोकड़े ने 18 जनवरी को खारिज कर दिया था।

मुंबई: मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत ने अपने आदेश में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तकनीकी आधार पर जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनकी न्यायिक हिरासत का विस्तार अवैध नहीं है। अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निर्धारित 60 दिन की अवधि में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। अदालत ने यह भी कहा है कि आरोप पत्र दाखिल करने के बाद अपराध का संज्ञान लेना दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत निहित न्यायिक शक्ति का प्रयोग करने के लिए कोई आवश्यक शर्त नहीं है।

2 नवंबर 2021 को गिरफ्तार हुए थे देशमुख
तकनीकी आधार पर जमानत के लिए देशमुख की अर्जी को विशेष पीएमएलए न्यायाधीश आर एम रोकड़े ने 18 जनवरी को खारिज कर दिया था और विस्तृत आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया। देशमुख ने अपनी अर्जी में कहा था कि धन शोधन निवारण कानून (PMLA) के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने उन्हें आगे की न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले ईडी द्वारा दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान नहीं लिया और इसलिए वह तकनीकी आधार पर (डिफॉल्ट) जमानत के हकदार हैं। देशमुख को 2 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं।

CBI ने भी देशमुख के खिलाफ दर्ज किए थे केस
ईडी ने देशमुख की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि चार्जशीट निर्धारित समय के भीतर दाखिल की गई थी। ईडी ने कहा कि CrPC की संबंधित धारा के तहत संज्ञान लेने की अवधारणा अनिवार्य नहीं है। साथ ही कहा कि यदि जांच पूरी हो जाती है और संबंधित अदालत के अधिकारी के पास चार्जशीट दाखिल की जाती है तो यह तथ्य ‘महत्वहीन’ हो जाता है कि CrPC के प्रावधानों के तहत कोर्ट द्वारा 60 दिनों की अवधि के भीतर संज्ञान नहीं लिया गया। देशमुख पर मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था, जिसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और ईडी ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ मामले दर्ज किए थे।