महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुणे में एक बयान दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि मैं 15 दिन डेंग्यू से बीमार था। मुझे राजनीतिक डेंगू हुआ है, ऐसी खबरों से मैं व्यथित हुआ हूं। उन्होंने कहा, 'मैं इतना लचर नहीं कि मुझे राजनीतिक बीमारी नहीं होती, मैंने अमित शाह से कोई शिकायत नहीं की,शिकायत करना मेरा स्वभाव नहीं है। आंदोलन करने का सवैधानिक अधिकार सभी को है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान करना सही नहीं है। सरकार का प्रमुख कोई भी हो, उसे राज्य की कानून व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति भड़काऊ भाषण न दे। फिर वो कोई आम नागरिक हो या सरकार का प्रतिनिधि।
डिप्टी सीएम अजित पवार ने दिया बयान
उन्होंने कहा कि आपके व्यक्तव्य से दो समाज में द्वेष निर्माण हो, ऐसे वक्तव्य किसी को भी नहीं करना चाहिए। चार सौ से पांच सौ करोड़ राज्य पिछड़ा आयोग ने सर्वेक्षण के लिए मांगे हैं। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य हित में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा, इलेक्टोरल मेरिट के आधार पर चर्चा की जाएगी। जल्द ही सभी कलेक्टरों की बैठक सूखे के हालात के संदर्भ में ली जाएगी। खेती के लिए 31 जुलाई तक पानी कैसे सुरखित रखे जा सकते है इसपर चर्चा होगी। चारा हो या पीने के पानी की समस्या बढ़ रही है। हमारी सरकार को 200 विधायकों का समर्थन है। कौन कहता है कि सरकार स्थिर नहीं है।
महाराष्ट्र में आरक्षण की आग
बता दें कि महाराष्ट्र में फिलहाल मराठा आंदोलन जारी है। यह आंदोलन अब मराठा बनाम ओबीसी आंदोलन बनता जा रहा है। मराठा समाज के लोगों की आरक्षण की मांग है। वहीं ओबीसी समुदाय को डर है कि ओबीसी आरक्षण में कटौती कर मराठा समाज को आरक्षण दे दिया जाएगा। ऐसे में बीते दिनों जालना के अम्बड़ तालुका में ओबीसी समुदाय के लोगों ने सभा की। इस सभा में अजित पवार गुट के मंत्री और ओबीसी समाज के बड़े नेता छगन भुजबल शामिल हुए थे। यहां उन्होंने अपने संबोधन में मराठा आंदोलन पर खूब निशाना साधा। बता दें कि मनोज जरांगे पाटिल इसी तालुका के एक गांव में भूख हड़ताल पर बैठे हैं।