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Hindi News महाराष्ट्र अहमद निजाम नहीं देवी अहिल्या के नाम से जाना जाएगा महाराष्ट्र का यह शहर, शिंदे सरकार ने आधिकारिक रूप से बदला नाम

अहमद निजाम नहीं देवी अहिल्या के नाम से जाना जाएगा महाराष्ट्र का यह शहर, शिंदे सरकार ने आधिकारिक रूप से बदला नाम

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का नाम अब आधिकारिक रूप से बदल दिया गया है। इस जिले का नाम अब अहिल्यानगर हो गया है। इस बारे में अधिसूचना जारी की गई।

Ahilyanagar- India TV Hindi Image Source : INDIA TV अहमदनगर अब अहिल्यानगर हो गया है

महाराष्ट्र का अहमदनगर जिला अब देवी अहिल्या के नाम से जाना जाएगा। इस जिल का नाम अब आधिकारिक रूप से बदल कर अहिल्यानगर कर दिया गया है। एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली महाराष्ट्र सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी मंजूरी दी थी। राज्य के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि अहमदनगर का नाम बदलने का फैसला इस साल मार्च में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया था और केंद्र से मंजूरी मांगी गयी थी।

जिले का नया नाम देवी अहिल्या के नाम पर रखा गया है। इस शहर का पुराना नाम अहमद निजाम के नाम पर था। पाटिल ने कहा कि 18वीं सदी में इंदौर (मध्यप्रदेश) की शासक अहिल्याबाई होल्कर इसी जिले से थीं। इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर क्रमश: छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव कर दिया था।

अहिल्याबाई ने बनाया था महिला सैनिकों का दस्ता

देवी अहिल्याबाई ने देश भर के हिंदू तीर्थस्थलों में धार्मिक और परमार्थिक काम करके पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा अंचल का मान-सम्मान बढ़ाया था और मुगल शासकों को चुनौती देते हुए सनातन धर्म की पताका फहराई। देवी अहिल्याबाई के जीवन में निजी कष्टों और चुनौतियों का अम्बार था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इंदौर के तत्कालीन होलकर राजवंश की शासक के तौर पर सुशासन और सुप्रबंधन की नजीर पेश की थी। देवी अहिल्याबाई ने सामाजिक भेदभाव मिटाने और नारी सशक्तिकरण की दिशा में भी काम किया था और उन्होंने अपनी सेना में पहली बार महिलाओं का दस्ता बनाया था। हिंदुओं के पवित्र चार धामों और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में देवी अहिल्याबाई होलकर के कराए निर्माण कार्यों का उल्लेख किया। होलकरों के राज-काज की कमान संभालने वाली देवी अहिल्याबाई ने देश भर में अपने सुशासन के प्रतीक चिह्न छोड़े।

अहिल्याबाई का स्थापित किया कपड़ा उद्योग आज भी जारी

अहिल्याबाई  ने एक शासक के रूप में सुशासन प्रदान किया और समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम किया। एक रानी होने के बावजूद वह सादा जीवन जीती थीं और कमजोरों एवं पिछड़ों की परवाह करती थीं। वह विधवा थीं। अकेली महिला होने के बावजूद, उन्होंने न केवल अपने बड़े साम्राज्य का प्रबंधन किया, बल्कि उसे और भी बड़ा बनाया एवं सुशासन प्रदान किया। वह अपने समय की आदर्श शासकों में से एक थीं। उन्होंने उन्हें महिलाओं की क्षमताओं का प्रतीक बताया। उन्होंने इतने अच्छे तरह से उनका (उद्योगों का) निर्माण किया कि महेश्वर कपड़ा उद्योग आज भी चल रहा है। यह कई लोगों को रोजगार प्रदान करता है।’