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Hindi News महाराष्ट्र पार्टी का नाम और निशान गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे पूरे महाराष्ट्र में करेंगे रैलियां, पहली रैली मुंबई में होगी

पार्टी का नाम और निशान गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे पूरे महाराष्ट्र में करेंगे रैलियां, पहली रैली मुंबई में होगी

इस योजना के तहत ठाकरे गुट पूरे महाराष्ट्र में रैलियों का आयोजन करेगा। इसे 'शिवसैनिक निर्धार रैली' का नाम दिया गया है। इस रैली के जरिए आगामी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत के साथ लड़ने की शपथ शिवसैनिकों को दिलाई जाएगी।

उद्धव ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र- India TV Hindi Image Source : PTI उद्धव ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

मुंबई : शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह गंवाने के बाद अब उद्धव ठाकरे गुट एक बार फिर से अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। उद्धव ठाकरे ने सच्चे शिवसैनिकों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए नयी योजना बनाई है। इस योजना के तहत ठाकरे गुट पूरे महाराष्ट्र में रैलियों का आयोजन करेगा। इसे 'शिवसैनिक निर्धार रैली' का नाम दिया गया है। इस रैली के जरिए आगामी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत के साथ लड़ने की शपथ शिवसैनिकों को दिलाई जाएगी। इस सिलसिले में 26 फरवरी को मुंबई के जांभोरी मैदान में पहली शिवसैनिक निर्धार रैली का आयोजन किया गया है। ठाकरे गुट ने शिवसैनिकों से इस रैली में बड़ी संख्या में मौजूद रहने की अपील की है। इस रैली में आदित्य ठाकरे शिवसैनिकों को संबोधित करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ठाकरे गुट

बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने और उसे चुनाव चिह्न ‘‘धनुष एवं तीर’’ आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। है वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की याचिका को जल्द सूचीबद्ध करने के लिए चीफ जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। चीफ जस्टिस ने हालांकि कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, "नियम सभी पर समान रूप से लागू होते हैं। कल उचित प्रक्रिया के माध्यम से आएं।'

चुनाव आयोग ने निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की

ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि याचिका में उठाए गए बिंदुओं का उन मुद्दों पर सीधा असर पड़ता है जिन पर संविधान पीठ विचार कर रही है। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराने और ‘चिह्न संबंधी’ कार्यवाही अलग-अलग मामले हैं और विधायकों की अयोग्यता राजनीतिक दल की सदस्यता समाप्त करने पर आधारित नहीं है। इसने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की है कि शिवसेना में विभाजन हुआ था। याचिका में कहा गया है, ‘‘राजनीतिक दल में विभाजन हुआ, इसको लेकर कोई दलील और सबूत नहीं होने के चलते, आयोग का निष्कर्ष पूरी तरह से गलत है।’’ 

ठाकरे गुट के पास प्रतिनिधि सभा में भारी बहुमत

याचिका में कहा गया है कि ठाकरे गुट के पास प्रतिनिधि सभा में भारी बहुमत है, जो प्राथमिक सदस्यों और पार्टी के अन्य हितधारकों की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था है। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने "पक्षपातपूर्ण और अनुचित तरीके" से काम किया है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का "धनुष एवं तीर" चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था।

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