संसद में हुए हंगामें के बाद विपक्ष के 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले पर विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा तीखी प्रतिक्रिया दी जा रही है। इस बीच उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने सांसदों के निलंबन पर सवाल उठाए हैं। नागपुर में आदित्य ठाकरे ने कहा कि सवाल ये उठता है कि संसद पर हमला करने वाले व्यक्ति वहां कैसे पहुंचे, उसपर चर्चा होनी चाहिए, विचार होना चाहिए। लेकिन हैरानी की बात है कि जिन सांसदों ने इसपर सवाल पूछा और चर्चा की मांग की तो उन लोगों को सस्पेंड कर दिया गया। उन्होंने कहा, ऐसे भी सांसदों को निलंबित किया गया जो वहां (संसद) मौजूद भी नहीं थे।
सांसदों के निलंबन पर आदित्य ठाकरे ने दिया बयान
इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद की सुरक्षा को खतरे में डालने के बाद भाजपा अब आवाज उटाने वालों पर वार कर रही है। 14 विपक्षी सांसदों को निलंबित करना लोकतंत्र का निलंबन है।' उन्होंने लिखा कि उनका अपराध क्या है? क्या केंद्रीय गृहमंत्री से सदन में बयान देने का आग्रह करना अपराध है? क्या सुरक्षा में सेंध लगाने पर चर्चा करना अपराध है? क्या यह तानाशाही के उस पहलू को रेखांकित नहीं करता, जो वर्तमान व्यवस्था की पहचान बन गई है?
कांग्रेस नेताओं ने दी तीखी प्रतिक्रिया
वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा, 'कल लोकसभा में जो हुआ वह बेहद चिंताजनक था। आज लोकसभा में जो हुआ वह बिल्कुल विचित्र है। तमिलनाडु के एक सांसद जो सदन में मौजूद ही नहीं थे, वह दरअसल नई दिल्ली से ही बाहर थे, उन्हें भी कार्यवाही में बाधा डालने के लिए निलंबित कर दिया गया! इस बीच, जिस भाजपा सांसद की मदद से आरोपी सदन के भीतर पहुंचे उनके खिलाफ़ कोई भी एक्शन नहीं लिया जा रहा है।' वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया, ‘अपनी (सरकार की) नाकामियों और खामियों से ध्यान भटकाने के लिए सांसदों का निलंबन किया गया है। इस सरकार में बड़ी क्रूरता के साथ लोकतंत्र की बलि दी जा रही है। न जाने ये लोग देश को कहां ले जाएंगे। मोदी है तो देश का मुश्किल है।’