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मुंबई-चेन्नई की 10 प्रतिशत जमीन निगल जाएगा समुद्र, रिसर्च में डराने वाला खुलासा

1987 से 2021 तक मुंबई में समुद्र के स्तर में अधिकतम वृद्धि देखी गई जो 4.440 सेमी है। इसके बाद हल्दिया में 2.726 सेमी, विशाखापत्तनम में 2.381 सेमी, कोच्चि में 2.213 सेमी, पारादीप में 0.717 सेमी और चेन्नई में 0.679 सेमी की वृद्धि समुद्र के जल स्तर में हुई।

Mumbai- India TV Hindi Image Source : PTI मुंबई

एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र के जल स्तर में हो रही वृद्धि के कारण 2040 तक मुंबई में 10 प्रतिशत से अधिक भूमि और पणजी और चेन्नई में 10 प्रतिशत तक भूमि के जलमग्न होने का खतरा है। बेंगलुरू स्थित थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी’ (सीएसटीईपी) द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि समुद्र के बढ़ते जल स्तर की वजह से कोच्चि, मेंगलुरू, विशाखापत्तनम, उडुपी और पुरी में पांच प्रतिशत भूमि जलमग्न हो सकती है। 

इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘समुद्र के जल स्तर में वृद्धि परिदृश्य और चुनिंदा भारतीय तटीय शहरों के लिए जलमग्नता मानचित्र’ है। रिपोर्ट में 15 भारतीय तटीय शहरों और कस्बों - चेन्नई, मुंबई, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, मेंगलुरू, विशाखापत्तनम, कोझिकोड और हल्दिया, कन्याकुमारी, पणजी, पुरी, उडुपी, पारादीप, तुत्तुकुडी और यानम में ऐतिहासिक और भविष्य के जलवायु परिदृश्यों के तहत समुद्र के जल स्तर में बदलाव का अध्ययन किया गया है। 

मुंबई में सबसे ज्यादा असर

अध्ययन में खुलासा हुआ है कि 1987 से 2021 तक मुंबई में समुद्र के स्तर में अधिकतम वृद्धि देखी गई जो 4.440 सेमी है। इसके बाद हल्दिया में 2.726 सेमी, विशाखापत्तनम में 2.381 सेमी, कोच्चि में 2.213 सेमी, पारादीप में 0.717 सेमी और चेन्नई में 0.679 सेमी की वृद्धि समुद्र के जल स्तर में हुई। इसमें कहा गया है, ‘‘सदी के अंत तक सभी 15 शहरों और कस्बों में समुद्र के जल स्तर में वृद्धि जारी रहेगी। मुंबई के लिए सबसे अधिक जल स्तर वृद्धि का अनुमान है।’’ 

यानम और तुत्तुकुडी में भी डूब सकती है 10 फीसदी जमीन

सीएसटीईपी ने कहा कि मुंबई, यानम और तुत्तुकुडी में 10 प्रतिशत से अधिक भूमि, पणजी और चेन्नई में 5-10 प्रतिशत भूमि और कोच्चि, मेंगलुरु, विशाखापत्तनम, हल्दिया, उडुपी, पारादीप तथा पुरी में 1-5 प्रतिशत भूमि 2040 तक समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के कारण जलमग्न होने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के स्तर में वृद्धि से प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्रों में जल, कृषि, वन और जैव विविधता और स्वास्थ्य शामिल हैं। समुद्र तट, बैकवाटर और मैंग्रोव वन विशेष रूप से जोखिम में हैं, जो जैव विविधता और पर्यटन को प्रभावित कर रहे हैं। हल्दिया, उडुपी, पणजी और यानम में महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र, आर्द्रभूमि और जल निकाय हैं जो बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण जलमग्न हो सकते हैं। (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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