इंदौर। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से यहां एक निजी अस्पताल में छह घंटे के भीतर चार मरीजों की मौत के खुलासे के बाद प्रशासन ने इस चिकित्सा संस्थान पर शुक्रवार से अस्थायी रोक लगा दी। मृतकों में कोरोसा वायरस का एक संदिग्ध मरीज भी शामिल है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें शहर के गोकुलदास अस्पताल में मरीजों के तीमारदार रोते हुए अपना दर्द बयां करते नजर आ रहे हैं। इसमें वे आरोप लगा रहे हैं कि अस्पताल प्रशासन इस चिकित्सा संस्थान को सैनिटाइज (संक्रमणमुक्त) करने के लिये इसे खाली कराना चाहता है, इसलिये इलाज पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे मरीजों की सिलसिलेवार मौत होती जा रही है।
वीडियो वायरल होने से हड़कंप मचने के बाद प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को जांच के लिये आनन-फानन में गोकुलदास अस्पताल भेजा। यह येलो श्रेणी का अस्पताल है, जहां कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों का इलाज किया जा रहा था। जांच के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जड़िया ने बताया, "हमने अस्पताल से दस्तावेज जब्त करते हुए इसके संचालन पर अस्थायी रोक लगा दी है। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।" उन्होंने बताया, "शुरूआती जांच के दौरान हमें पता चला है कि अस्पताल में बृहस्पतिवार को छह घंटे के भीतर चार मरीजों की मौत हुई थी।
मृतकों में शामिल तीन लोग जांच में कोविड-19 से संक्रमित नहीं पाये गये थे, जबकि एक अन्य मरीज की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया रहा है।" सीएमएचओ ने बताया कि गोकुलदास हॉस्पिटल में भर्ती 14 मरीजों को अन्य अस्पतालों में भेजा जा रहा है। मरीजों के तीमारदारों के आरोपों पर गोकुलदास अस्पााल के प्रबंधन की प्रतिक्रिया कई प्रयासों के बावजूद नहीं मिल सकी। बहरहाल, यह कोई पहला मामला नहीं है, जब कोराना वायरस संकट में सोशल मीडिया के जरिये प्रदेश के निजी अस्पतालों की पोल खुली हो। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सामने आये अलग-अलग वीडियो में इन अस्पतालों पर विभिन्न बीमारियों के मरीजों को बिना इलाज लौटाये जाने, मोटी फीस वसूलने और कोविड-19 की जांच रिपोर्ट में संक्रमित नहीं पाए जाने के बाद भी मरीजों को वक्त पर छुट्टी नहीं दिये जाने के आरोप लगाये गये हैं।