झाबुआ। मध्य प्रदेश स्थित एक कुक्कुट फार्म ने आर्डर मिलने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के झारखंड के रांची स्थित कुक्कुट फार्म के लिए कड़कनाथ नस्ल के 2,000 चूजों को भेजा है। झाबुआ जिले के थांदला तहसील के ग्राम रूंडीपाडा निवासी विनोद मेडा के कुक्कुट फार्म से इन चूजों को शुक्रवार को एक वाहन में झाबुआ के जिलाधिकारी सोमेश मिश्रा ने रांची के लिए रवाना किया है।
लाजवाब स्वाद के लिए मशहूर कड़कनाथ नस्ल के मुर्गों के मांस को छत्तीसगढ़ के साथ कानूनी लड़ाई के बाद 2018 में जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक टैग) मिला है। टैग दर्शाता है कि उत्पाद एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र से आता है और अक्सर इसके वाणिज्यिक मूल्य को बढ़ाता है। मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘महेन्द्र सिंह धोनी जैसी बड़ी शख्सियत ने भी यहां के कड़कनाथ नस्ल के मुर्गों को मिले जीआई टैग को देखते हुए इनके पालन में रूचि दिखाई है। इसका हम स्वागत करते हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ हमने यह सुविधा ऑनलाईन कर दी है। जिसको चाहिए वह ऑनलाईन आर्डर दे सकता है। इससे हमारे आदिवासी अंचल में जो आदिवासी भाई-बहन हैं, उनको रोजगार में आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’ वहीं, कुक्कुट फार्म संचालक मेडा ने बताया, ‘‘मोबाईल ऐप के माध्यम से धोनी के प्रबंधक ने मुझे एक साल पहले 2000 चूजों का आर्डर दिया था। लेकिन बर्ड फ्लू के कारण हम यह आर्डर पूरा नहीं कर सके थे।’’ उन्होंने कहा कि अब ये आर्डर तैयार हैं। मेडा ने बताया, ‘‘सारे चूजों को टीका भी लगाया गया है।’’
उन्होंने कहा कि वह अपने साथ तीर कमान ले जा रहे हैं और धोनी को झाबुआ की आदिवासी संस्कृति की पहचान एवं प्रतीक स्वरूप तीर-कमान भेंट करेंगे। कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख आई एस तोमर ने बताया कि चूजे के जन्म के बाद अलग-अलग दिनों के अनुसार इसकी कीमत होती है। एक दिन, सात दिन, और पन्द्रह दिन के चूजों की अलग-अलग कीमत होती है। एक दिन के चूजे की कीमत 75 रूपये, सात दिन के चूजे की कीमत 80 रूपये और 15 दिन के चूजे की कीमत 90 रूपये होती है। यदि कोई ज्यादा दिन का चूजा मांगता है तो 28 दिन का चूजा 120 रूपये में आता है।’’
कड़कनाथ नस्ल का मुर्गा अपने विशिष्ट रंग और औषधीय गुण के कारण देश-विदेश में जाना पहचाना जाता है। इसके एक किलोग्राम मांस में कॉलेस्ट्राल की मात्रा करीब 184 एमजी होती है, जबकि अन्य मुर्गों में करीब 214 एमजी प्रति किलोग्राम होती है। उन्होंने बताया कि कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे के मांस में 25 से 27 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जबकि अन्य मुर्गों में केवल 16 से 17 प्रतिशत ही पाया जाता है।