राजगढ़: जिले के जालपा माता मंदिर में शुक्रवार को अनोखा नजारा देखने को मिला। यहां चोरों द्वारा चोरी करने के बाद मां जालपा से कान पकड़कर माफी मांगी गई। दरअसल 5 दिन पहले राजगढ़ के प्रसिद्ध जालपा माता मंदिर पर अज्ञात चोरों ने चोरी की वारदात को अंजाम दिया। इस दौरान मंदिर की दानपेटी, लाउडस्पीकर, माइक सेट सहित अन्य सामान चोरी कर लिए गए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने मंदिर समिति की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया था। इसके बाद से ही पुलिस राजगढ़ एसपी आदित्य मिश्रा के निर्देश पर चोरों की तलाश में जुटी हुई थी। इस दौरान पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। एसपी ने जालपा माता मंदिर पर ही प्रेस वार्ता कर इसका खुलासा किया किया गया। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से चोरी का सामान भी बरामद किया।
पूरा मामला जिले के जालपा माता मंदिर का है। यहां पर 5 दिन पहले कुछ अज्ञात चोरों ने मंदिर में चोरी की घटना को अंजाम दिया था। चोरों ने मंदिर की दानपेटी में रखी नकदी, लाउडस्पीकर, माइक सेट, डीवीआर सहित अन्य सामान चुरा लिया था। इस घटना के बाद पुलिस ने मंदिर समिति की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया था। इसके बाद से ही पुलिस राजगढ़ एसपी आदित्य मिश्रा के निर्देश पर चोरों की तलाश में जुटी हुई थी। इसी दौरान पुलिस ने राजस्थान के झालावाड़ जिले के टांडी गांव के रहने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया।
राजगढ़ एसपी ने जालपा माता मंदिर पर प्रेस वार्ता कर पूरे मामले का खुलासा किया। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से 7 मोटरसाइकिल, पंखे, डीवीआर, लाउडस्पीकर, साउंड सिस्टम सहित करीब 5 लाख रुपए बरामद किए। एसपी ने बताया कि अभी चार आरोपी और फरार हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है। उन्होंने कहा कि जल्दी ही फरार आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में होंगे। वहीं मामले का खुलासा करने के बाद जालपा माता मंदिर पर आरोपी बनवा, पहलवान और मुकेश ने हाथ जोड़कर और कान पकड़कर मां जालपा से माफी भी मांगी।
राजगढ़ एसपी ने बताया कि शातिर चोर मंदिरों को टारगेट करते थे। जनवरी माह से अब तक राजगढ़ जिले में 7 से 8 मंदिरों में चोरी की वारदात को चोरों के द्वारा अंजाम दिया गया था। चोर चोरी करने से पहले सीसीटीवी कैमरे का भी ध्यान रखते थे और चोरी के दौरान डीवीआर भी चुरा कर ले जाते थे, ताकि उनकी पहचान ना हो सके। एसपी ने बताया कि आरोपी पहले मंदिरों की रेकी करते थे। रेकी करने के बाद चोरी का स्थान चिन्हित करके रात में अपनी गैंग के साथ चोरी की घटना को अंजाम देते थे। ये सभी लोग चोरी के माल को आपस मे बांटकर अपने-अपने घरों में छिपाकर रख देते थे। (इनपुट- गोविंद सोनी)
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