A
Hindi News मध्य-प्रदेश नाकाम रही सीहोर की सृष्टि को बचाने के लिए 51 घंटे तक चली जद्दोजहद, घुटन के कारण मासूम ने तोड़ा दम

नाकाम रही सीहोर की सृष्टि को बचाने के लिए 51 घंटे तक चली जद्दोजहद, घुटन के कारण मासूम ने तोड़ा दम

मध्य प्रदेश के सीहोर में बोरवेल में गिरी ढाई साल की बच्ची सृष्टि को बचाने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन 51 घंटों के बाद गुरुवार को समाप्त हो गया।

Sehore, Borewell- India TV Hindi Image Source : INDIA TV सीहोर में घटनास्थल पर जुटे लोग।

सीहोर: मध्य प्रदेश के सीहोर में बोरवेल में गिरी ढाई साल की बच्ची सृष्टि को बचाने की 51 घंटों तक चली जद्दोजहद नाकाम हो गई। बच्ची को बोरवेल से निकालकर अस्पताल ले जाया गया जहां पता चला कि घुटन के कारण उसकी मौत पहले ही हो गई थी। बता दें कि सीहोर के ग्राम मुंगावली में पिछले 51 घंटों से सृष्टि नाम की बच्ची का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जिला प्रशासन की टीमों के अलावा SDERF, NDRF और आर्मी के जवान भी लगे हुए थे। बोरवेल से निकालने के बाद सृष्टि को तुरंत सीहोर जिला अस्पातल ले जाया गया था।

रोबोटिक एक्सपर्ट्स की टीम भी हुई थी शामिल
बता दें कि सृष्टि को बचाने के लिए जारी अभियान में तीसरे दिन गुरुवार को रोबोटिक एक्सपर्ट्स की एक टीम भी शामिल हुई थी। रेस्क्यू ऑपरेशन का आज तीसरा दिन था और बच्ची को बोरवेल में एक पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी। अधिकारियों के मुताबिक, सृष्टि पहले करीब 40 फुट की ऊंचाई पर फंसी हुई थी और बाद में नीचे फिसल कर लगभग 100 फुट की गहराई में फंस गई थी। वह मंगलवार को दोपहर में करीब एक बजे बोरवेल में गिरी थी और तभी से उसे बचाने की कोशिश की जा रही है। 

सीएम लगातार कर रहे थे ऑपरेशन की निगरानी
सृष्टि के रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना की एक टीम भी लगी हुई थी जबकि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा आपातकालीन प्रतिक्रिया बल (SDERF) की टीमें पहले से ही इस काम में जुटी हैं। इसके अलावा 12 अर्थमूविंग और पोकलेन मशीनें भी बचाव अभियान में लगी हुई थीं। सूबे के मुख्यमंत् शिवराज सिंह चौहान और अधिकारियों की एक टीम भी बचाव अभियान की निगरानी के लिए जिला अधिकारियों के संपर्क में थी।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे दिशानिर्देश
बता दें कि 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने खुले छोड़ दिए गए बोरवेल में बच्चों के गिरने की घातक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। अदालत द्वारा 2010 में जारी संशोधित दिशानिर्देशों में निर्माण के दौरान कुएं के चारों ओर कांटेदार तार की बाड़ लगाना, बोरवेल के ऊपर बोल्ट के साथ स्टील प्लेट कवर का उपयोग करना और नीचे से जमीनी स्तर तक बोरवेल को भरना शामिल है। हालांकि इन दिशानिर्देशों के बावजूद लोग लापरवाही करते हैं और यही वजह है कि आए दिन किसी न किसी बच्चे के बोरवेल में गिरने की खबरें सामने आती हैं।