भोपाल: मध्य प्रदेश में हिंदू महासभा के गोडसे समर्थक बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल किए जाने के बाद पार्टी के भीतर संग्राम छिड़ गया है। एक तरफ वो लोग खड़े हैं जो चौरसिया का खुले तौर पर विरोध कर चुके हैं मगर चौरसिया अब भी सुरक्षित है और माना जा रहा है कि कमलनाथ का गोडसे समर्थक को समर्थन हासिल है। ग्वालियर नगर निगम के हिंदू महासभा से पार्षद बाबूलाल चौरसिया को पिछले दिनों भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी। चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जाने के बाद कांग्रेस के कई नेता मुखर हुए थे। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने तो गांधी हम शर्मिदा हैं कहकर अपनी नाराजगी जताई थी।
अरुण यादव का बयान आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और विधायक लक्ष्मण सिंह, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, पूर्व मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया ने चौरसिया को कांग्रेस में लिए जाने को पार्टी की नीतियों के खिलाफ उठाया कदम बताया था। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से जब चौरसिया को कांग्रेस में शामिल किए जाने का सवाल किया गया तो उन्होंने प्रश्न किया था बाबूलाल चौरसिया कौन है।
एक तरफ जहां चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जाने पर कई नेता गांधीवादी विचारधारा के खिलाफ बता रहे थे तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने सीधे तौर पर कमलनाथ पर हमला किया था। मानक अग्रवाल का मामला अनुशासन समिति में गया और उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि मानक अग्रवाल ने कमलनाथ के खिलाफ बयान दिया था, यह बात सही है। उन पर पार्टी को कार्रवाई करने का अधिकार है मगर अग्रवाल की निष्ठा हमेशा पार्टी में रही है इसलिए इस तरह की कार्यवाही से पहले विचार किया जाना चाहिए था। वहीं दूसरी ओर गोडसे समर्थक को पार्टी मैं लेना कहां तक उचित है इसका भी जवाब पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को देना चाहिए। सवाल उठ रहा है कि क्या कमलनाथ गोडसे समर्थक को संरक्षण दे रहे हैं।
गोडसे समर्थक को कांग्रेस में शामिल किए जाने के बाद से पार्टी में दो धाराएं साफ नजर आ रही हैं। एक तरफ वो लोग हैं जो कमलनाथ के साथ हैं तो दूसरी तरफ गोडसे समर्थक को पार्टी में लिए जाने के खिलाफ खड़े हुए लोग हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस ऐसे दोराहे पर खड़ी है जहां पार्टी में आने वाले समय में बिखराव और बढ़ने की संभावना है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि कमलनाथ ने मानक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई कर यह संदेश दिया है कि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह समर्थकों के खिलाफ भी राज्य में कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही कमलनाथ ने अपनी ताकत का भी लोहा मनवाने की कोशिश की है, अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई कर। हो सकता है कि आने वाले दिनों में कुछ और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई हो।