नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 72 दिनों के बाद आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। मध्य प्रदेश की प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल राजभवन में एक सादे समारोह में मंत्रिमंडल के नये मंत्रियों को शपथ दिलाई। यह चौहान मंत्रिमंडल की पहला विस्तार है और इसमें दो दर्जन से अधिक मंत्रियों को शामिल किया गया है। चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान ने 29 दिन तक अकेले ही सरकार चलाते रहे।
बाद में 21 अप्रैल को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन कर सके थे, जिनमें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट एवं गोविन्द सिंह राजपूत शामिल हैं। मालूम हो कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है और टंडन की अनुपस्थिति के दौरान आनंदीबेन को मध्य प्रदेश के राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन करेंगी। मंत्रिमंडल में दो दर्जन से अधिक मंत्रियों को शामिल किया गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मार्च माह में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नौ पूर्व विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
कैबिनेट मंत्रियोें की लिस्ट - गोपाल भार्गव
- विजय शाह
- जगदीश देवड़ा
- विसाहूलाल सिंह
- यशोधरा राजे सिंधिया
- भूपेंद्र सिंह
- एदलसिंह कसाना
- बृजेंद्र प्रताप सिंह
- विश्वास सारंग
- इमरती देवी
- प्रभुराम चौधरी
- महेंद्र सिंह सिसोदिया
- प्रद्युम्न सिंह तोमर
- प्रेम सिंह पटेल
- ओमप्रकाश सकलेचा
- उषा ठाकुर
- अरविंद भदौरिया
- मोहन यादव
- हरदीप सिंह डंग
- राज्यवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तिगांव
राज्यमंत्रियों की लिस्ट
- भरत सिंह कुशवाहा
- इंदर सिंह परमार
- रामखेलावन पटेल
- श्री राम किशोर कांवरे
- बृजेंद्र सिंह यादव
- गिर्राज डंडौतिया
- सुरेश धाकड़
- ओपीएस भदौरिया
बनने वाले कुल मंत्रियों में भाजपा के 7 पुराने दिग्गज हैं। वहीं, भाजपा के 9 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 9 और कांग्रेस से भाजपा में आए 3 नेताओं को मंत्री बनाया गया है। इस तरह से नए मंत्रिमंडल में कांग्रेस और सिंधिया समर्थक कुल 12 नेताओं को जगह मिली है। भाजपा नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए सुबह भोपाल पहुंचे। मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देने से कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार गिर गयी थी और चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी थी। वे रिकॉर्ड चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं। कांग्रेस के अधिकांश बागी विधायक, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं।