लव जिहाद पर कानून लाने की तैयारी शिवराज सरकार, जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 10 साल की सज़ा का प्रावधान
एमपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 'धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020' को पेश किया जाएगा। इस बिल में लालच, झूठ बोलकर या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन अपराध होगा।
भोपाल. लव जिहाद को लेकर मध्यप्रदेश से बड़ी खबर है। उत्तर प्रदेश के तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी लव जिहाद पर लगाम लगाने की तैयारी तेज हो गई है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को एक अहम मीटिंग कर लव जिहाद से जुड़ी धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 के मसौदे को मंजूरी दे दी है। एमपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 'धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020' को पेश किया जाएगा। इस बिल में लालच, झूठ बोलकर या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन अपराध होगा। धर्मांतरण के नजरिए से कराई गई शादी अमान्य होगी। अगर कोई खुद से धर्मांतरण करता है तो कम से कम 1 महीना पहले इसकी जानकारी डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को देनी होगी। बड़ी बात ये है कि अगर कोई आरोपी दोषी साबित होता है तो इसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल तक की सजा के प्रावधान की तैयारी (IANS)
मध्य प्रदेश में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए ''म.प्र. धर्म स्वातं˜य अधिनियम 2020'' लाया जाने वाला है। इसके लिए सरकार मंथन के दौर से गुजर रही है। इसमें इस बात का भी प्रावधान किया जा रहा है कि सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर पांच से 10 साल की सजा के साथ एक लाख रुपये के अर्थदंड का प्रावधान होगा। मुाख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को उच्च अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर विवाह के माध्यम से अथवा अन्य किसी कपटपूर्ण साधन से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार इस संबंध में 'म.प्र. धर्म स्वातं˜य अधिनियम 2020' लाने वाली है।
प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा रिश्तेदार (रक्त संबंध) इसके विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे। यह अपराध गैर जमानती तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा। उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसका अन्वेषण नहीं कर सकेगा। धर्मान्तरण नहीं किया गया है यह साबित करने का भार अभियुक्त पर होगा।
इस प्रस्तावित अधिनियम में किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा तीन का उल्लंघन करने पर एक वर्ष से पांच वर्ष का कारावास व कम से कम 25 हजार रुपये का अर्थदण्ड होगा। नाबालिग, महिला, अ.जा, अ.ज.जा के प्रकरण में दो से 10 वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50 हजार रुपये अर्थदण्ड प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर तीन वर्ष से 10 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 50 हजार रुपये अर्थदण्ड होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर पांच से 10 वर्ष के कारावास एवं कम से कम एक लाख रूपए के अर्थदण्ड का प्रावधान किया जा रहा है।
प्रस्तावित अधिनियम के अनुसार, स्वतंत्र इच्छा से धर्म परिवर्तन की दशा में धर्म परिवर्तन की वांछा रखने वाले व्यक्ति तथा धार्मिक पुजारी या व्यक्ति जो धर्म परिवर्तन आयोजित करने का आशय रखता हो, उसे संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट को एक माह पूर्व घोषणा पत्र या सूचना पत्र देना बंधनकारी होगा।