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Hindi News मध्य-प्रदेश मरीज का इलाज कर रहे 38 साल के डॉक्टर को आया हार्ट अटैक, अपने ही क्लिनिक में तोड़ा दम

मरीज का इलाज कर रहे 38 साल के डॉक्टर को आया हार्ट अटैक, अपने ही क्लिनिक में तोड़ा दम

शहडोल जिले के केशवही जैसे छोटे से गांव से निकलकर बुढ़ार में क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर दिलीप कुमार समाज सेवा में भी हमेशा सबसे अग्रिम लाइन में खड़े नजर आते थे।

heart attack- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO डॉक्टर की अपने ही क्लिनिक में हार्ट अटैक से मौत (प्रतिकात्मक तस्वीर)

शहडोल: कहते हैं कि डॉक्टर इस युग के भगवान होते हैं और हमेशा सेवा भावना से इंसानों को नई जिंदगी देने का प्रयास करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ ये भी कहा जाता है कि मौत के आगे भी किसी का बस नहीं चलता चाहे वो राजा महाराजा ही क्यों ना हो। जब मौत किसी को लेने आ जाती है तो फिर ये किसी की नहीं सुनती। कुछ ऐसा ही घटना आज सुबह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के बुढ़ार में घटित हुई। एक डॉक्टर साहब तो दूसरों की जिंदगी बचाने घर से निकले थे लेकिन खुद मौत के आगोश में समा गए। इस घटना ने सभी को अचंभीत कर दिया।

हार्ट अटैक आते ही काउंटर पर गिर पड़े डॉक्टर
अपने ही क्लिनिक में मरीज का इलाज कर रहे 38 वर्षीय डॉक्टर दिलीप कुमार कुशवाहा की हार्ट अटैक से दर्दनाक मौत हो गई। अपने निजी क्लिनिक में बैठे थे और एक एक मरीज को देख रहे थे। इसी दौरान उनके सीने में तेज दर्द उठा। इसके बाद वह काउंटर पर गिर पड़े। घटनास्थल पर पहुंचने के बाद पुलिस ने शव का पंचनामा कर उसे कब्जे में ले लिया। वहीं मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए बुढ़ार अस्पताल भिजवा दिया गया है।

Image Source : india tvडॉक्टर दिलीप कुमार कुशवाहा का क्लिनिक

होम्योपैथी के नामी डॉक्टर थे दिलीप कुमार

दिलीप कुमार होम्योपैथी के नामी गिरामी डॉक्टर थे। वे दूसरों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। क्लिनिक में हुई इस घटना की खबर लगते ही कई समाज सेवक मौके पर पहुंचे। शहडोल जिले के केशवही जैसे छोटे से गांव से निकलकर बुढ़ार में क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर दिलीप कुमार समाज सेवा में भी हमेशा सबसे अग्रिम लाइन में खड़े नजर आते थे।

Image Source : india tvडॉक्टर के मौत की खबर सुनते ही कई समाज सेवक क्लिनिक पहुंचे।

मुफ्त में भी करते थे मरीजों का इलाज

किसी मरीज के पास यदि उपचार के लिए पैसे नहीं होते थे तो उनका इलाज डॉक्टर साहब मुफ्त में तो करते ही थे, साथ ही दवाइयां भी अपने पास से देते थे। कई बार तो देखा गया कि जिन मरीजों के पास आने-जाने का किराया नहीं होता था तो उनके आने-जाने का  इंतजाम भी दिलीप कुमार अपने जेब की राशि से करते थे। आज के दौर में इस तरह की सेवा करने वाले विरला ही मिलते हैं।

(रिपोर्ट- विशाल खण्डेलवाल)

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