एमपी में छात्रों को अब मिलेगा रामचरितमानस का ज्ञान, रामसेतु के माध्यम से सीखेंगे सिविल इंजीनियरिंग
ऐसे नहीं है कि बीजेपी सरकार कालेज के छात्रों को सिर्फ राम का पाठ पढ़ाने जा रही है बल्कि सरकार ने हाल के दिनों में धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों को भी संघ और जनसंघ की धारा से भी जोड़ने का फैसला लिया है।
भोपाल: अब तक तो चुनावी एजेंडे में अपनी पार्टी की विचारधारा या फिर श्रीराम को शामिल कर राजनैतिक दल चुनावी वैतरणी पार करते रहे हैं लेकिन मध्य प्रदेश की सत्ताधारी बीजेपी एक कदम आगे आकर डॉक्टर छात्रों को संघ और जनसंघ की धारा से जोड़ने के बाद अब कालेज के छात्रों को राम का पाठ पढ़ाने का फैसला लिया है। यही वजह है कि बीजेपी सरकार अब शिक्षा में भगवाकरण और धर्म प्रचार के आरोप से घिर गई है। बीजेपी के रामराज्य की परिकल्पना अयोध्या राम मंदिर से होते हुए अब शिक्षा के मंदिर तक आ पहुंची है। मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के राज में शिक्षा के मंदिरों में छात्र अब राम का जाप करते नजर आएंगे, जिन कालेजों में इंजीनियरिंग से लेकर बीए जैसे ग्रेजुएशन कोर्स कर रहे छात्र सालों से अब तक इन्हीं कोर्स से संबंधित विषयों का ज्ञान ले रहे थे उन्हें अब राम का पाठ पढ़ाया जाएगा।
मध्य प्रदेश में छात्रों को पढ़ाया जाएगा कि रामसेतु कैसे बना, कैसे राम ने जीवन में संघर्ष से विजय प्राप्त की। राम से जुड़ी ये तमाम बातें 'रामचरितमानस का व्यावहारिक दर्शन' विषय में जोड़ दी गई हैं। हालांकि ये विकल्प के तौर पर होगा कि छात्र रामचरितमानस पढ़ना चाहते हैं या नहीं। आखिर कालेजों के छात्रों को राम का पाठ पढ़ाने की ऐसी क्या जरूरत महसूस हो रही है इस पर उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री कह रहे हैं कि राम के बारे में जानता सबको जरूरी है, रामचरितमानस भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में पढ़ाया जाए।
यही नहीं सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मानते हैं कि इंजीनियरिंग के छात्रों को भी रामसेतु के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि उनके मुताबिक नासा ने भी माना है सैकड़ों वर्ष पहले बनाया गया मानव निर्मित बेहतरीन रचना है जिसमें पानी के अंदर इंसान पैदल जाता है बाकी राम सेतु श्री राम ने बनाया है इसकी इंजीनियरिंग के छात्रों को रामसेतु पढ़ना जरूरी हो जाता है। वहीं मंत्री जी से पूछे जाने पर कि कुरान और बाइबिल को क्यों नहीं पढ़ाया जा रहा वह कहते हैं उच्च शिक्षा विभाग की कमेटी किन चीजों को कोर्स में शामिल किया जाए तय करती है।
ऐसे नहीं है कि बीजेपी सरकार कालेज के छात्रों को सिर्फ राम का पाठ पढ़ाने जा रही है बल्कि सरकार ने हाल के दिनों में धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों को भी संघ और जनसंघ की धारा से भी जोड़ने का फैसला लिया है। बीजेपी सरकार की मंशा है कि मेडिकल छात्र संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार और जनसंघ के दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को भी पढ़ें। इनकी जीवन गाथा को भी मेडिकल छात्रों के सिलेबस में जोड़ा गया है। अब चिकित्सा शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि संघ या जनसंघ या फिर राम इनके बारे में अगर छात्र जानेंगे तो इसमें गलत क्या है।
हालांकि शिक्षा में भगवाकरण और एक धर्म का पाठ पढ़ाने पर सियासी विवाद गरमा गया है। कांग्रेस के मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद का कहना है कि अगर बीजेपी सरकार की नियत सही होती तो रामचरित मानस रामायण के साथ-साथ कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ को भी पढ़ाया जाए। एक तरफ सियासी विवाद छिड़ा है लेकिन छात्र क्या सोचते हैं रामचरितमानस वैकल्पिक तौर पर पढ़ाने को लेकर। ये भी समझना जरूरी है। छात्रों का कहना है कि नई शिक्षा नीति से उम्मीद थी कि कुछ बेहतर बदलवा होगा। कोरोना काल में पढ़ाई में वैसे भी पिछड़ गए हैं। रोजगार के लिए कांपटीशन है ऐसे में कुछ ऐसा पढ़ाया जाए ताकि उसे पढ़कर बेहतर रोजगार मिल सके। रामचरितमानस, रामायण तो घर में बचपन से पढ़ते आए हैं।
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