A
Hindi News मध्य-प्रदेश न्‍यूज इंदौर: आकाश विजयवर्गीय जेल से रिहा, इस कारण जमानत के बावजूद जेल में बितानी पड़ी रात

इंदौर: आकाश विजयवर्गीय जेल से रिहा, इस कारण जमानत के बावजूद जेल में बितानी पड़ी रात

बीजेपी के बल्लामार विधायक आकाश विजयवर्गीय रविवार सुबह जेल से बाहर आ गए हैं। उन्हें शनिवार को इंदौर की अदालत से जमानत मिली थी।

akash vijayvargiya - India TV Hindi akash vijayvargiya 

बीजेपी के बल्लामार विधायक आकाश विजयवर्गीय रविवार सुबह जेल से बाहर आ गए हैं। उन्‍हें शनिवार को इंदौर की अदालत से जमानत मिली थी। आकाश विजयवर्गीय को नगर निगम अधिकारी की पिटाई और राज्य में बिजली कटौती को लेकर राजबाड़ा में विरोध प्रदर्शन के मामले में 20,000 और 50,000 रुपये के बांड पर अदालत से बेल दी गई। 

बता दें कि जिस मकान को गिराने से बचाने के लिए आकाश ने नगर निगम कर्मचारी की पिटाई की थी, उसे अब गिराया जा रहा है। जेल से बाहर आने के बाद आकाश से इस बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि फिलहाल मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन क्षेत्र के विकास और लोगों की सुखशांति के लिए प्रयास जारी रहेगा। 

भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय को बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। आकाश ने इंदौर में जर्जर मकान गिराने गयी नगर निगम की टीम के साथ विवाद के दौरान शहरी निकाय के एक अधिकारी को क्रिकेट बल्ले से पीटा था।​ आपको बता दें कि आकाश (34) नवंबर 2018 में विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। इस मामले को लेकर उनका आरोप है कि गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक मकान को बेवजह जर्जर बताकर खाली कराने गये नगर निगम के कर्मचारी इस घर में रहने वाली महिलाओं से बदसलूकी कर रहे थे।

जमानत मिलने के बावजूद इसलिए बितानी पड़ी जेल में रात

जिला जेल अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया, "हमें विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश शनिवार रात 11 बजे के आस-पास मिला। तय औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें रविवार सुबह जेल से छोड़ दिया गया।" चतुर्वेदी ने बताया, "शनिवार को लॉक-अप के शाम सात बजे के नियत समय तक हमें विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश नहीं मिला था। लिहाजा जेल मैन्युअल के मुताबिक हम उन्हें शनिवार रात रिहा नहीं कर सकते थे।" उन्होंने बताया कि विजयवर्गीय जिला जेल में न्यायिक हिरासत के तहत बुधवार देर शाम से बंद थे। जेल शब्दावली के मुताबिक नियमित गिनती के बाद कैदियों को कारागार के भीतरी परिसर से दोबारा कोठरी में भेजकर बंद किये जाने को "लॉक-अप" करना कहा जाता है।