MP News: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सजा पूरी होने के करीब चार साल बाद एक व्यक्ति को जेल से रिहा करने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं। बता दें, इंदर सिंह नाम के इस व्यक्ति को एक आपराधिक मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली थी, लेकिन बाद में अदालत ने इसे संशोधित कर पांच साल कर दिया था। इसके बावजूद भी उसे करीब नौ साल जेल में रहने के बाद रिहा किया गया। सिंह द्वारा अपनी अवैध हिरासत के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्रार को इसकी जांच पूरी कर दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग
इंदर सिंह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पाथरी गांव का निवासी है। उसके वकील अरुण विश्वकर्मा ने कहा कि उसके मुवक्किल ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उसने लगभग चार साल तक चली अवैध हिरासत के लिए प्रतिवादियों (राज्य सरकार के अधिकारियों) को उसे मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की । उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को अतिरिक्त 3 साल, 11 महीने और 5 दिन जेल में बिताने के बाद रिहा किया गया।
सिंह की सजा को संशोधित किया गया था
विश्वकर्मा ने कहा कि 25 सितंबर, 2006 के उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार सिंह की सजा को संशोधित किया गया था और उसको पहले दिये गये आजीवन कारावास को घटा कर पांच साल कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद उसने सलाखों के पीछे लगभग चार साल और बिताए।