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Hindi News मध्य-प्रदेश MP Election 2023: क्या कमलनाथ अपने गढ़ छिंदवाड़ा में ‘कमल’ को मुरझा पाएंगे? जानें सियासी समीकरण

MP Election 2023: क्या कमलनाथ अपने गढ़ छिंदवाड़ा में ‘कमल’ को मुरझा पाएंगे? जानें सियासी समीकरण

छिंदवाड़ा के निवर्तमान विधायक 76 वर्षीय कमलनाथ का 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू से मुकाबला है। कमलनाथ खुद को ‘हनुमान भक्त’ के रूप में पेश करते हैं जबकि साहू ‘शिवभक्त’ के रूप में जाने जाते हैं।

kamal nath- India TV Hindi Image Source : PTI एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में बीच में ही मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अपनी पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें अपने गढ़ छिंदवाड़ा में इस विधानसभा चुनाव में भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। छिंदवाड़ा के निवर्तमान विधायक 76 वर्षीय कमलनाथ का 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू से मुकाबला है। कमलनाथ खुद को ‘हनुमान भक्त’ के रूप में पेश करते हैं जबकि साहू ‘शिवभक्त’ के रूप में जाने जाते हैं। इन दोनों के बीच 2018 के विधानसभा चुनाव में भी टक्कर हुई थी और कमलनाथ ने 25,837 मतों के अंतर से साहू को पराजित कर दिया था। तब से साहू अपनी हार का बदला लेने की कोशिश में हैं। उन्हें भाजपा ने इस चुनाव में भी अपना प्रत्याशी बनाया है और पार्टी ने अपनी पूरी संगठनात्मक मशीनरी उनके साथ लगा दी है।

कमलनाथ को औंधे मुंह गिराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही बीजेपी

भाजपा उम्मीदवार साहू छिंदवाड़ा जिले में पार्टी के युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष हैं और उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में किस जाति और धर्म के करीब-करीब कितने मतदाता हैं। चुनाव में कमलनाथ को औंधे मुंह गिराने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इस बात की पूरी संभावना है कि कमलनाथ कांग्रेस के जीतने की स्थिति में मुख्यमंत्री बनेंगे। 6 महीने पहले भाजपा की जिला इकाई ने एक वाहन पर दूरबीन रखकर अभियान चलाया था और कहा था कि वह कमलनाथ को ढूंढ़ रही है जो पिछला चुनाव जीतने के बाद छिंदवाड़ा से ‘‘गायब’’ हो गए हैं। अपने इस अभियान से भाजपा ने यह बात साबित करने की चेष्टा की थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जीत के बावजूद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम नहीं कर रहे हैं। कई लोग महसूस करते हैं कि भाजपा के इस कदम का लक्ष्य कमलनाथ को छिंदवाड़ा में ही सीमित रखने का है।

16 चुनावों में बीजेपी तीन बार, कांग्रेस 13 बार रही विजयी

दरअसल, छिंदवाड़ा में 1957 से अब तक के 16 चुनावों में भाजपा केवल तीन बार चुनाव जीत पाई है जबकि कांग्रेस 13 बार विजयी रही है। दोनों ही प्रत्याशी छिंदवाड़ा के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपने धार्मिक रुझान के बारे में शेखी बघारते हैं। छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और दोनों ही निर्वाचन क्षेत्र इसी नाम से जाने जाते हैं। मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के चेहरे कमलनाथ खुद को ‘संकटमोचन’ हनुमान का भक्त दिखाने का कोई मौका नहीं जाने दे रहे। उन्होंने छिंदवाड़ा में हनुमान की 102 फुट से अधिक ऊंची प्रतिमा लगवाई थी। इसी तरह भाजपा प्रत्याशी साहू भी भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाने में पीछे नहीं हैं। उन्होंने इस साल छिंदवाड़ा में भगवान शिव की 84 फुट ऊंची प्रतिमा लगवाई थी। वह कमलनाथ की तरह पूजा-अर्चना करने के बाद ही अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू करते हैं।

कमलनाथ ने की थी धीरेंद्र शास्त्री की मेजबानी

चुनाव से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने बागेश्वर धाम के 27 वर्षीय उपदेशक धीरेंद्र शास्त्री की मेजबानी की थी। शास्त्री अकसर भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने की पैरवी करते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने एक अन्य विवादास्पद उपदेशक पंडित प्रदीप मिश्रा की भी छिंदवाड़ा में मेजबानी की थी। मिश्रा खुले तौर पर हिंदू राष्ट्र की स्थापना की वकालत करते हैं। कमलनाथ के इस कदम की उन्हीं की पार्टी के कुछ लोगों ने आलोचना भी की थी। अगस्त में कमलनाथ ने तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में अपने गृह क्षेत्र में शास्त्री की मेजबानी को लेकर उनकी आलोचना करने वालों पर पलटवार किया था और कहा था कि यह कहने की कोई जरूरत नहीं है कि ‘‘भारत हिंदू राष्ट्र है क्योंकि 82 प्रतिशत भारतीय तो हिंदू ही हैं।’’

रविशंकर प्रसाद क्या बोले?

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में छिंदवाड़ा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘मुझे हिंदू भावनाओं के प्रति कमलनाथ जी का प्रेम दिखता है, कभी-कभी हनुमानजी के भक्त के रूप में। यह अच्छी बात है कि यहां धार्मिक अनुष्ठान हुआ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आप अपने दोस्त और सहयोगी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे द्वारा सनातन धर्म के प्रति दिखाए गए असम्मान के खिलाफ क्यों नहीं बोल रहे हैं?’’ 

(इनपुट- भाषा)

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