केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने एमपी सीएम के साथ की अटल भू-जल और जल जीवन मिशन योजना की समीक्षा
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शनिवार को भोपाल पहुंचे जहां उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में मध्य प्रदेश में जलशक्ति मंत्रालय की अटल भू-जल योजना और जल जीवन मिशन योजना की समीक्षा की।
नई दिल्ली/भोपाल। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शनिवार को भोपाल पहुंचे जहां उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में मध्य प्रदेश में जलशक्ति मंत्रालय की अटल भू-जल योजना और जल जीवन मिशन योजना की समीक्षा की। बताया जा रहा है कि जल्द ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच केन-बेतवा नदी के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद भी खत्म हो सकता है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने समीक्षा बैठक के बाद कहा कि माताओं-बहनों के लिए 25 सितम्बर 2023 तक हर ग्रामीण आवास तक नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। एक भी ग्रामीण आवास ऐसा ना हो जिनके घर में उचित गुणवत्ता का पानी ना हो। 65 प्रतिशत आवश्यकताओं की पूर्ति जमीन भूगर्भ के पानी पर निर्भरता है। उसकी वजह से साफ है कि भू-गर्भ के जल स्रोत सिमटते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में योजना बनाई है कि कम से कम पानी में ज्यादा से काम कैसे हो।
62 लाख लोगों को पेयजल की सुरक्षा मिलेगी
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने आगे कहा कि बुंदेलखंड के लाखों हेक्टेयर भूमि को पेयजल की सुविधा मिलेगी। 62 लाख लोगों को पेयजल की सुरक्षा मिलेगी। हम कोई भी काम करेंगे तो 2005 के निर्णय 2017 के निर्णय के आधार पर होगा। उसमें कहीं भी किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जाएगा। अटल भू-जल योजना में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश के 6 जिलों के ब्लॉक्स को शामिल किया गया था। योजना के तहत मध्य प्रदेश 6 माह में बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट्स में शामिल हो चुका है। अटल भू-जल योजना एवं जल जीवन मिशन का भी प्रदेश में तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है। प्रधानमंत्री जी का संकल्प था कि हम साधारण आदमी के जीवन में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से काम करेंगे। प्रत्येक ग्रामीण आवास को स्वच्छ जल मिलेगा।
दूर होगी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की बाधा
बताया जा रहा है कि इसके बाद जल्द ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच केन-बेतवा नदी के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद भी खत्म हो सकता है। सीएम शिवराज के साथ बैठक के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गंभीर-पार्वती-कोमू नदी लिंक परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केन-बेतवा प्रोजेक्ट को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पहले ही चर्चा हो चुकी है। आज एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा हुई है। दोनों राज्य केंद्र सरकार की मदद से केन-बेतवा प्रोजेक्ट के अवरोध को जल्द ही खत्म करेंगे। दोनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारों के रहते राजनीतिक कारणों से विवाद को सुलझाने की पहल नहीं हुई। लेकिन वर्तमान में केंद्र के साथ दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने दोनों राज्यों के बीच यह विवाद सुलझाने के लिए सिंतबर 2020 में केन्द्रीय प्राधिकरण का गठन किया था। दोनों राज्यों से कार्ययोजना मंगाई गई है, जिसके आधार पर विवाद सुलझाया जाना है।
जानिए क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना?
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में एक केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ है, जिसका 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी। इसमें मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र शामिल है। मध्य प्रदेश में छतरपुर व पन्ना जिलों के सीमा पर केन नदी पर मौजूदा गंगऊ बैराज के अपस्ट्रीम में 2.5 किमी की दूरी पर डोढ़न गांव के पास एक 73.2 मीटर ऊंचा ग्रेटर गंगऊ बांध प्रस्तावित है। कॉन्क्रीट की 212 किलोमीटर लंबी नहर द्वारा केन नदी का पानी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बेतवा नदी पर स्थित बरुआ सागर में डाला जाना प्रस्तावित है।
"एमपी किसान एप" शुरू किया गया
सीएमओ मध्यप्रदेश के ट्वीटर हैंडल के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने जनवरी से मार्च 2021 तक जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश की डेढ़ लाख शालाओं एवं आंगनवाड़ियों में नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। मध्यप्रदेश सरकार जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के हर घर तक नल जल पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत है। इसके लिए 1 करोड़ घरों तक घरेलू नल कनेक्शन से गुणवत्तापूर्ण पेयजल प्रदाय का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही किसानों की सुविधा के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा "एमपी किसान एप" शुरू किया गया है। इस एप से किसान अपनी भूमि/खेत की जानकारी, खसरा/खतौनी एवं नक्शे की प्रतिलिपि, बोई गई फसलों की स्वघोषणा, शासन द्वारा समय-समय पर जारी सलाह आदि प्राप्त कर सकते हैं।