सिंधिया की जगह किसे राज्यसभा भेजेगी बीजेपी, केपी यादव से किया वादा निभाएंगे अमित शाह?
मध्य प्रदेश की एक सीट के लिए भी चुनाव होना है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा सदस्य थे, लेकिन गुना संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुना संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर कई दावेदारों की नजर है। पार्टी किसी दिग्गज को मौका देगी या नए चेहरे को, यह बड़ा सवाल है। चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया है। अधिसूचना 14 अगस्त को जारी होगी और नामांकन पत्र 21 अगस्त तक दाखिल किए जा सकेंगे और तीन सितंबर को चुनाव होने के बाद उसी दिन नतीजे घोषित होंगे।
राज्यसभा में सिंधिया की जगह लेंगे केपी यादव?
मध्य प्रदेश की एक सीट के लिए भी चुनाव होना है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा सदस्य थे, लेकिन गुना संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। राज्यसभा की रिक्त हुई इस सीट के लिए राज्य के कई नेता दावेदारी कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान गुना से सांसद रहे केपी यादव को दिल्ली ले जाने की बात कही थी। पार्टी ने यादव का गुना से टिकट काटकर सिंधिया को उम्मीदवार बनाया था।
शाह ने गुना लोकसभा सीट से प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, ''गुना वालों को दो नेता मिलेंगे। एक ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे केपी यादव। केपी की चिंता आप मुझ पर छोड़ दो। अब केपी यादव को आगे बढ़ाने का काम हमारा है"
इसके अलावा बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक जयभान सिंह पवैया, न्यू जॉइनिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. नरोत्तम मिश्रा के नाम भी दावेदारों में लिए जा रहे हैं। पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा यह तो पार्टी हाईकमान तय करेगा।
क्या कह रहे राजनीतिक विश्लेषक?
राज्यसभा की सदस्यों की स्थिति पर गौर किया जाए तो वर्तमान में भाजपा सांसद के तौर पर उमेश नाथ महाराज, बंशीलाल गुर्जर, एल मुरूगन, माया नारोलिया, कविता पाटीदार, सुमित्रा वाल्मीकि, सुमेर सिंह सोलंकी है, वहीं कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा और अशोक सिंह हैं। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में राज्यसभा में भाजपा के सांसदों में दलित समाज, आदिवासी वर्ग, पिछड़ा वर्ग और महिला वर्ग से कई प्रतिनिधि हैं, तो अब जातीय और राजनीतिक समीकरण के आधार पर ब्राह्मण अथवा ठाकुर समाज के नेता को पार्टी मौका दे सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा अपने फैसलों से हर किसी को चौंकाती रही है। इस बार के राज्यसभा चुनाव में भी पार्टी चौंका सकती है। भले ही कई वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चाओं में हों, मगर कोई नया चेहरा अचानक सामने आए तो हैरानी की बात नहीं होगी।
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