Madhya Pradesh News: फिल्मों में नकली पुलिस वालों का रुतबा देखकर भोपाल में दो सगे भाइयों ने अपनी-अपनी एक पुलिस गैंग बना ली। ये गैंग रैपिडो और ओला के लिए मोटरसाइकिल चलाकर भोपाल के अलग-अलग मोहल्लों में रेकी करती थी और उसके बाद लूट को अंजाम देते थे। इस दौरान पुलिस की वर्दी में रहने के चलते कोई उन पर शक भी नहीं कर पाता था। नकली पुलिस बनने की असली कहानी जब पुलिस को पता चली तो सब लोग हैरान रह गए।
दोनों सगे भाई मिलकर चला रहे थे गैंग
भोपाल की इस नकली पुलिस ने चोरी की दर्जनों वारदातों को अंजाम दिया था। हैरानी की बात ये है कि दोनों सगे भाई मिलकर ही यह गिरोह चला रहे थे। पुलिस की तर्ज पर दोनों ने व्यवस्थित रूप से पुलिस की तरह ही अलग-अलग बैज बना रखे थे। एक भाई चोरी करता था और दूसरा भाई चोरी के सामान को इंदौर में ठिकाने लगाता था। भोपाल में चोरी किए गए सामान को इंदौर में बेचने के चलते पुलिस को सूत्र भी नहीं मिल पाते थे। लेकिन असली पुलिस के हाथ लंबे होते हैं और आखिरकार नकली पुलिस पकड़ी ही गई।
जब नकली पुलिस का असली पुलिस से पड़ा पाला
क्राइम ब्रांच डीसीपी शैलेंद्र चौहान के मुताबिक, पुलिस को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि दो लड़के लाल-काले रंग की मोटरसाइकिल से कस्तूरबा अस्पताल के सामने BHEL क्वाटरों के पास बने सूने मकानों में तांक-झांक कर रहे हैं। दोनों लड़कों ने पुलिस की वर्दी पहनी हुई है जो नकली दिख रही है। सूचना मिलने पर जब पुलिस वहां पहुंची तो पाया कि दो लोग पुलिस की वर्दी पहन मोटरसाइकिल पर सूने मकान के सामने खड़े हैं।
पुलिसकर्मियों ने देखा कि युवकों का वर्दी पहनने का तरीका सही नहीं है। असली पुलिस को देख नकली वर्दी पहने दोनों युवक मोटरसाइकिल से भागने लगे तो घेराबंदी कर हमराह स्टाफ और राहगीरों की मदद से दोनों को पकड़ा गया। मोटरसाइकिल चलाने वाले व्यक्ति से उसका नाम पता पूछा तो उसने अपना नाम जुबेर मंसूरी निवासी बब्लू उस्ताद की झुग्गी भीम नगर और पीछे बैठे व्यक्ति ने अपना नाम शुभम आट्या निवासी झुग्गी नंबर 41 स्वदेश प्रेस के पास एमपी नगर ज़ोन 1 बताया।
क्राइम ब्रांच की टीम ने जब दोनों से पुलिस का परिचय पत्र मांगा तो उनके पास आईडी कार्ड भी नहीं था। बस यहीं से पुलिस का संदेह और पुख्ता हो गया। सख्ती से पूछताछ करने पर दोनों आरोपियों ने कबूला कि वह पुलिस की नकली वर्दी पहनकर चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं।
नकली पुलिस बनकर कैसे उड़ाते थे घरों से माल
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पुलिस कि वर्दी पहनकर मोटरसाइकिल से कॉलोनियों में सूने पड़े मकान की रेकी करते थे। बाद में रात के समय ऑटो लेकर सवारी लेने के बहाने घटना को अंजाम देते थे। पुलिस की वर्दी पहने होने के कारण लोग इनपर संदेह नही करते थे। आरोपियों ने बताया कि पुलिस की वर्दी में चोरी करने का प्लान जुबेर मंसूरी का था क्योंकि साधारण कपड़ों में कई बार पुलिस की टोका-टाकी और पूछताछ का सामना करना पड़ता था। इसलिए शुभम के साथ प्लान बनाया गया।
उन्होंने बताया कि गोविन्दपुरा में रहने वाले सीआईएसएफ में दरोगा दयाशंकर भधकारे के घर वर्दी में चोरी की और अन्य सामान पर भी हाथ साफ कर दिया। आरोपियों ने असली पुलिस दिखने के लिए बकायदा एक नकली पिस्टल भी साथ रखी थी ताकि घर वालों को डराया जा सके। इस गैंग में जुबेर मंसूरी और शुभम के अलवा जुबेर का सगा भाई शाहरूख भी शामिल था। शाहरूख मंसूरी चोरी किए गये घरेलू सामान को इंदौर में ठिकाने लगाने का काम करता है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से क्राइम ब्रांच पुलिस ने सीआईएसएफ की वर्दी, एक नकली पिस्तौल, एक रॉड नुमा ताला तोडने का हथियार, पेंचकस, प्लास और मोटरसाईकिल बरामद की है। आरोपियों ने पुछताछ में बताया कि इन्होंने थाना अयोध्या नगर, ऐशबाग, गोविन्दपुरा, बागसेवनिया में करीब एक दर्जन से ज्यादा चोरी की वारदातों को अंजाम दिया है।