कमलनाथ को भारी पड़ा 15 महीने का शासन? शिवराज ने नाकामियां गिनाकर ऐसे पलटी बाजी
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। भाजपा ने 163 सीटों के प्रचंड बहुमत हासिल किया है तो वहीं, कांग्रेस सिर्फ 66 सीटों पर सिमट गई है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान की मेहनत को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए किसी बुरे सपने की तरह साबित हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में प्रचंड बहुमत हासिल किया है और 5 सालों के लिए फिर से अपना किला मजबूत कर लिया है। ऐसे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि जिस मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने की या कम से कम उसके मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी, वहां शिवराज सिंह चौहान ने कैसे एक दम से पूरी बाजी पलट दी। आइए जानते हैं मुख्यमंत्री शिवराज के इस रणनीति के बारे में।
कमलनाथ की नाकामियों पर हमला
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी सभाओं मे कमलनाथ सरकार की 15 माह की नाकामियों को पुरजोर तरीके से हमला बोला। चुनाव से 3-4 माह पहले से ही शिवराज प्रतिदिन कमल नाथ और राहुल गांधी से सवाल पूछते थे कि आपने कौन से वचन निभाए? वह हर रैली में ये मुद्दा उठाते थे कि मेरी जन कल्याणकारी योजनाएं क्यों बंद की? बता दें कि साल 2018 में कमल नाथ ने मध्य प्रदेश के सीएम के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, 15 महीनों में उनकी सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई थी।
शिवराज की ये योजनाएं हो गई थी बंद
भाजपा ने 15 महीने की कमलनाथ सरकार पर सीएम शिवराज की कई जन कल्याणकारी योजनाएं बंद करने का आरोप लगाया था। ये योजनाए थीं- संबल योजना, पंच परमेश्वर योजना, दीन दयाल अंत्योदय रसोई योजना, प्रतिभा प्रोत्साहन योजना, शून्य ब्याज ऋण योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, आहार अनुदान योजना, मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना। इसके अलावा सीएम शिवराज ने फसल बीमा योजना की राशि, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ बंद करने का भी आरोप लगाया था। सीएम शिवराज ने आरोप लगाया कि कमलनाथ के शासन में 2 लाख गरीबों के आवास लौटा दिए गए, जल जीवन मिशन का काम प्रारंभ नहीं किया गया और आयुष्मान योजना का 5 लाख तक का निशुल्क इलाज मिलना भी बंद हो गया।
शिवराज ने घोटालों पर भी घेरा
सीएम शिवराज ने बीते कई महीनों से चुनावी सभाओं में कमलनाथ सरकार की ओर से किए गए कथित घोटालों का भी मुद्दा जोर शोर से उठाया था। उन्होंने वेयर हाउस खरीदी केंद्र घोटाला, 100 करोड़ का कृषि यंत्र खरीदी घोटाला, कमलनाथ के पूर्व ओएसडी के घर 281 करोड़ की गड़बड़ी के लिए छापेमारी, योजनाओं के नाम पर 1350 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी समेत कई मुद्दे उठाए। शिवराज ने आरोप लगाया कि किसानों से कर्जमाफी का वादा कर एक भी किसान का कर्जमाफ नहीं हुआ, किसान डिफॉल्टर हो गए। शिवराज ने कमलनाथ पर 450 से अधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर घोटाला, 877 करोड़ रुपए का सिंचाई परियोजना घोटाला, 4100 करोड़ रुपए का सिंचाई काम्प्लेक्स घोटाला, आईफा घोटाला और आदिवासी बच्चों के अधिकारों का हनन कर 2 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाले का भी आरोप लगाया।
शिवराज की कड़ी मेहनत
ये शिवराज सिंह चौहान की कड़ी मेहनत और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का साथ ही था कि पार्टी ने इतना प्रचंड बहुमत हासिल किया। मध्य प्रदेश के लगभग हर क्षेत्र में शिवराज की सभाओं ने एक वक्त काफी मजबूत मानी जा रही कांग्रेस को काफी पीछे धकेल दिया। पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत सभी दिग्गज भाजपा नेताओं ने चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
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