मध्य प्रदेश में हमशक्ल भाई का खूब उठाया फायदा, जिंदगी भर की पुलिस की नौकरी, ऐसे खुली पोल
कैलाश ने अपनी शिकायत में बताया कि वह फर्स्ट ईयर तक पढ़ा लिखा है। कई साल पहले ग्राम डही जिला धार में अपने हमशक्ल भाई हीरालाल के साथ रहता था।
मध्य प्रदेश के इंदौर में फल बेचने वाले भाई के डॉक्यूमेंट की बदौलत धार में रहने वाले उसके दूसरे हमशक्ल भाई ने पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी हासिल कर ली। जिंदगी भर नौकरी करने के दौरान रिटायर्ड होने के कुछ समय पहले अचानक आकस्मिक मौत के चलते पुलिसकर्मी का बेटा अनुकंपा नियुक्ति के चक्कर में पड़ गया। लेकिन इस दौरान जब चाचा को खबर लग गई जिसके डाक्यूमेंट से भाई ने फर्जी तरीके से नौकरी पाई थी तो पूरा मामला खुल गया। अब इस मामले में इंदौर पुलिस कमिश्नर को शिकायत की गई है। जिसकी जांच क्राइम ब्रांच के पास भेजी गई है।
इंदौर पुलिस कमिश्नर से शिकायत
मिली जानकारी के अनुसार, इन्दौर के पवनपुरी कालोनी के पीड़ित कैलाश ने सबूतों के साथ में इंदौर पुलिस कमिश्नर से शिकायत की है। कैलाश ने अपनी शिकायत में बताया कि वह फर्स्ट ईयर तक पढ़ा लिखा है। कई साल पहले ग्राम डही जिला धार में अपने हमशक्ल भाई हीरालाल के साथ रहता था। अपने गांव में ही कैलाश अपने डॉक्यूमेंट, सम्पत्ति छोड़कर इन्दौर रहने आ गया। यहां फलों का व्यवसाय प्रारंभ कर लिया। वहीं परिवार के साथ रहने लगा। इसी दौरान कैलाश को पता चला कि उसके भाई हीरालाल की ग्राम डही में रहने के दौरान पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी लग गई। इन्दौर में हीरालाल पदस्थ होकर अंतिम समय तक पुलिस रेडियो डिपार्टमेंट में हेड कांस्टेबल के पद पर रहा।
भतोजों ने चाचा से छिपाने की कोशिश की
हीरालाल की 26 दिसंबर 2023 को मौत हो गई। हीरालाल की मौत सामान्य रूप से गिरने हुई। लेकिन उसके बेटे कमल जाटव और बलराज उर्फ राजू जाटव मौत के बाद शव को वर्दी पहनाकर फोटो खीचे। भाई कैलाश को शक होने पर उसने पूछा कि भाई हीरालाल नौकरी पर नहीं मरा है। तुम लोग यह सब क्यो कर रहे हो तो दोनों भतीजों ने जबाव नही दिया। फिर दोनो बेटों ने हीरालाल को खेडीघाट जैसी दूर जगह ले जाकर उसका दाह संस्कार किया। जिस पर कैलाश को दूसरी बार शंका हुई कि भतीजे कुछ छिपा रहे हैं।
साइन करने के लिए भी बनाया दवाब
7 जनवरी 2024 को मृत्यु भोज कार्यक्रम के अगले दिन दोनों भतीजों ने पीड़ित काका कैलाश को अनुकंपा नियुक्ति के लिये दिये जाने वाले डॉक्यूमेंट में गवाह बनने के रूप में साइन करने के लिये दबाव बनाया। जिस पर पीड़ित कैलाश द्वारा मना करने पर दोनों भतीजों ने बौखलाहट में सारे राज खोलते हुए बताया कि उनके पिता हीरालाल ने सालों पूर्व पीड़ित कैलाश के डॉक्यूमेंट हथियाकर उसी के आधार पर कैलाश बनकर पुलिस की नौकरी की अब वह तो मर गये हैं। कैलाश ने यह भी कहा कि हीरालाल के मृत्यु भोज के लिए कार्यक्रम में दोनों भतीजो ने फोटो हीरालाल का लगाया और नाम उनका लिखकर रखा। जबकि बेटो ने जो शोक पत्र छपवाए उसमें हीरालाल का नाम डालकर बांटे गए।
कैलाश का फर्जी मृत्यु प्रमाण बनवाया
भतीजों के रिश्तेदार सुनिल जारेवाल और हीरालाल बिलवाल ने भी शासकीय मृत्यु रजिस्टर में हीरालाल के स्थान पर जीवित भाई कैलाश का नाम चढ़वाकर दाह संस्कार की झूठी रसीद प्राप्त कर फर्जी रूप से जीवित कैलाश का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा कर अनुकम्पा नियुक्ति पाने के लिये पुलिस विभाग में आवेदन भी किया। जिसकी जानकारी पीड़ित के पुत्र प्रकाश को लगने पर उसने जब अंजान व्यक्ति बन कमल जाटव से फोन पर बात की तो कमल जाटव ने अपने पिता का नाम हीरालाल के स्थान पर कैलाश बताया जहां पूरे मामले का राजफाश हुआ।
आई ब्रो से होती थी दोनो भाई की पहचान
दोनों हमशक्ल भाइयो की आई ब्रो से पहचान होती थी। जिसमें मौत जहां मृतक हीरालाल की ऑय ब्रो ना के बराबर थी तो जीवित कैलाश की ऑय ब्रो है। वही हीरालाल चौथी तक पढ़ा है। जबकि उसका भाई कैलाश फस्ट ईयर तक पढ़ा हुआ है।
रिपोर्ट- भरत पाटिल