जज साहिबा को जन्मदिन की 'बधाई' भेजने वाले वकील को राहत, हाईकोर्ट से जमानत मिली
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उस वकील को जमानत दे दी है जिसे रतलाम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की महिला जज को उनके जन्मदिन पर बधाई देने के चलते जेल की हवा खानी पड़ी थी।
इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उस वकील को जमानत दे दी है जिसे रतलाम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की महिला जज को उनके जन्मदिन पर बधाई देने के चलते जेल की हवा खानी पड़ी थी। वकील विजय सिंह यादव को 9 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध अभयंकर ने 50 हजार के निजी मुचलके पर विजय सिंह यादव को जमानत दी है। यादव ने महिला जज के फेसबुक प्रोफाइल से उनकी फोटो डाउनलोड करके उन्हें जन्मदिन की शुभकामना भेजी थी।
हालांकि, एकल पीठ ने अपने इस आदेश में स्पष्ट किया कि वह मुकदमे के गुण-दोषों पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है। उच्च न्यायालय ने वकील की जमानत याचिका मंजूर करने के साथ यह शर्त भी लगाई कि अगर उसने महिला न्यायाधीश से संपर्क का कोई भी प्रयास किया, तो जमानत आदेश निरस्त माना जाएगा और पुलिस को आरोपी को दोबारा गिरफ्तार करने का अधिकार होगा। उच्च न्यायालय से जमानत की गुहार करते वक्त आरोपी वकील की ओर से कहा गया कि मामले में निचली अदालत में आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और कोविड-19 के प्रकोप के चलते अदालत का अंतिम निर्णय आने में काफी वक्त लग सकता है। उच्च न्यायालय में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील की ओर से यह भी कहा गया कि "वह मामले में बिना शर्त माफी मांगता है और वह संबंधित महिला न्यायाधीश से आइंदा न तो कोई संपर्क करेगा, न ही उनकी अदालत में पैरवी करेगा।"
आरोपी वकील पर आईटी एक्ट समेत कई मामले दर्ज किए गए थे। रतलाम की जिला अदालत के एक प्रणाली अधिकारी (सिस्टम ऑफिसर) की आठ फरवरी को पेश लिखित शिकायत पर एक वकील के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेजों की जालसाजी) और अन्य धाराओं के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत वहां के स्टेशन रोड थाने में मामला दर्ज किया गया था। वकील पर इल्जाम है कि उसने रतलाम की महिला न्यायाधीश के जन्मदिन के मौके पर उनके सरकारी ई-मेल पते पर 28 जनवरी को देर रात ‘अशोभनीय बधाई संदेश’ भेजा, जबकि वह आरोपी को जानती तक नहीं हैं।
वकील पर यह आरोप भी है कि उसने महिला न्यायाधीश के फेसबुक खाते से उनकी डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) डाउनलोड की और ‘जालसाजी के जरिये’ ग्रीटिंग कार्ड बनाने में इसका दुरुपयोग किया। इस ग्रीटिंग कार्ड पर कथित रूप से अशोभनीय संदेश लिखकर इसे स्पीड पोस्ट के जरिये उस वक्त महिला न्यायाधीश को भेजा गया जब उनकी अदालत चल रही थी। वकील को इस मामले में नौ फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और रतलाम के एक अपर सत्र न्यायाधीश ने उसकी जमानत याचिका 13 फरवरी को खारिज कर दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट में भी 27 अप्रैल को वकील की पहली जमानत याचिका खारिज हुई थी।