भोपाल: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज भोपाल में वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। बता दें कि हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखने का फैसला उनकी वीरता और पराक्रम को देखते हुए लिया गया। 450 करोड़ के प्रोजेक्ट वाले इस स्टेशन को पीपीपी मोड पर तैयार किया गया है। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन देश का पहला ऐसा स्टेशन बन गया है जहां एयरपोर्ट की तरह वर्ल्ड क्लास सुविधाएं यात्रियों को मिल सकेंगी। इस स्टेशन पर लोग बिना भीड़भाड़ के ट्रेन की बर्थ तक पहुंच सकेंगे। जो यात्री स्टेशन स्टेशन पर उतरेंगे, वे भी दो अलग-अलग रास्तों के जरिये स्टेशन के बाहर सीधे निकल जाएंगे। स्टेशन में एक कॉन्कोर्स भी है, जिसमें 900 यात्री एक बार में बैठ सकेंगे।
कौन थीं रानी कमलापति?
हमारा देश वीरांगनाओं से समृद्ध रहा है इन्हीं वीरांगनाओं में से एक रानी कमलापति भी हैं। रानी कमलापति 18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। हालांकि रानी कमलापति की कोई तस्वीर तो नहीं है पर कहा जाता है कमलापति राज्य की सबसे सुंदर महिला थीं। ऐसा कहा जाता है कि चांदनी रातों में, रानी कमलापति अपने समुद्र के किनारे के महल से निकलकर झील पर तैरती थीं। उस समय निजाम शाह गिन्नौरगढ़ के मुखिया थे और उनकी 7 पत्नियां थीं। खूबसूरत और बहादुर रानी कमलापति इन्हीं में से एक थीं और वह राजा को सबसे ज्यादा प्रिय थीं। उस दौरान बाड़ी पर निजाम शाह के भतीजे आलम शाह का शासन था। आलम की नजर निजाम शाह की दौलत और संपत्ति पर थी। कमलापति की खूबसूरती से प्रभावित होकर उसने रानी से प्रेम का इजहार भी किया था लेकिन रानी ने उसे ठुकरा दिया।
इसके बाद भतीजा आलम शाह अपने चाचा निजाम शाह की हत्या करने के लिए लगातार षड्यंत्र रचना रहता था और एक बार मौका पाकर दसने राजा के खाने में जहर मिलवा कर उसकी हत्या कर दी। उससे रानी और उनके बेटे को भी खतरा था ऐसे में रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह को गिन्नौरगढ़ से भोपाल स्थित रानी कमलापति महल ले आईं। रानी कमलापति अपने पति की मौत का बदला लेना चाहती थीं लेकिन परेशानी ये थी कि उनके पास न तो फौज थी और न ही पैसे थे।
इतिहासकारों के मुताबिक, रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी और वह मदद को तैयार तो हो गया, लेकिन इसके एवज में उसने रानी से एक लाख रुपये की मांग कर दी। रानी कमलापति को बदला लेना था, इसलिए पैसे न रहते हुए भी उन्होंने हामी भर दी। कमलापति के साथ दोस्त मोहम्मद ने निजाम शाह के भतीजे बाड़ी के राजा आलम शाह पर हमला कर उसकी हत्या कर दी और इस तरह कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला ले लिया। हालांकि करार के मुताबिक, रानी के पास दोस्त मोहम्मद को देने के लिए एक लाख रुपये नहीं थे ऐसे में रानी ने भोपाल का एक हिस्सा उसे दे दिया।
दोस्त मोहम्मद अब पूरे भोपाल की रियासत पर कब्जा करना चाहता था। उसने रानी कमलापति को अपने हरम (धर्म) में शामिल होने और शादी करने का प्रस्ताव रखा। वह वास्तव में रानी को अपने हरम में रखना चाहता था। दोस्त मोहम्मद खान के इस नापाक इरादे को देखते हुए रानी कमलापति का 14 वर्षीय बेटा नवल शाह अपने 100 लड़ाकों के साथ लाल घाटी में युद्ध करने चला गया। इस घमासान युद्ध में दोस्त मोहम्मद खान ने नवल शाह को मार दिया। इस स्थान पर इतना खून बहा कि यहां की जमीन लाल हो गई और इसी कारण इसे लाल घाटी कहा जाने लगा। रानी कमलापति ने विषम परिस्थति को देखते हुए अपनी इज्जत को बचाने के लिए बड़े तालाब बांध का संकरा रास्ता खुलवाया जिससे बड़े तालाब का पानी रिसकर दूसरी तरफ आने लगा। इसे आज छोटा तालाब के रूप में जाना जाता हैं। इसमें रानी कमलापति ने महल की समस्त धन-दौलत, जेवरात और आभूषण डालकर स्वयं जल-समाधि ले ली।
...तो इसलिए हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति रखा
18वीं शताब्दी की रानी जो निजाम की विधवा थी, गोंड साम्राज्य की अंतिम शासक थी। गोंड के नाम से जाने जाने वाले आदिवासी लोगों का समूह भारत में सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय था। इसे अब अनुसूचित जनजाति के रूप में नामित किया गया है। देश के 8 राज्यों ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, एमपी, एमएच और यूपी में लगभग 2 मिलियन गोंड लोग रहते हैं। इन सबके बीच, मध्य प्रदेश में गोंड जनजाति की सबसे बड़ी आबादी है इसलिए नया रानी कमलापति स्टेशन उनकी विरासत और इस जनजाति के योगदान का सम्मान करने का एक हिस्सा है।