इंदौर के आश्रम में 5 नहीं बल्कि 6 बच्चों की हुई मौत, एक को बिना पोस्टमॉर्टम ही चुपचाप दफना दिया
29 और 30 जून की दरम्यानी रात एक अन्य बच्चे की मौत के खुलासे के बाद आश्रम में जान गंवाने वाले बच्चों की तादाद बढ़कर छह पर पहुंच गई है। आश्रम के 60 बच्चे शहर के शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भर्ती हैं जिनमें से तीन की हालत गंभीर है।
इंदौर में विशेष बच्चों के एक आश्रम की गड़बड़ियों को लेकर प्रशासन की उच्च स्तरीय समिति की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि गुजरे पांच दिनों के दौरान इस संस्थान में पांच नहीं, बल्कि 6 बच्चों की मौत हुई है। प्रशासन के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि आश्रम में सबसे पहले दम तोड़ने वाले आठ वर्षीय बच्चे की मौत की जानकारी प्रशासन से छिपाते हुए उसके शव को उसके परिजनों को सौंप दिया गया था और उसे दफनाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
जांच समिति में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि शहर में एक गैर सरकारी संगठन (NGO) द्वारा संचालित "श्री युगपुरुष धाम बाल आश्रम" में 8 वर्षीय अंकित गर्ग की 29 और 30 जून की दरम्यानी रात मौत हुई थी। उन्होंने बताया, ‘‘आश्रम प्रबंधन ने इस बच्चे की मौत की जानकारी प्रशासन को नहीं दी थी। उसके शव को उसके परिजनों को सौंप दिया गया था और एक स्थानीय श्मशान में उसका दफनाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था।’’ अधिकारी ने बताया कि आश्रम प्रबंधन का दावा है कि आठ वर्षीय बच्चे की मौत मिर्गी से हुई थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
आश्रम के संचालकों को नोटिस जारी
गर्ग की मौत की वजह पूछे जाने पर जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया, ‘‘आश्रम प्रबंधन द्वारा इस बच्चे की मौत के बारे में प्रशासन को जानकारी नहीं दिए जाने के कारण उसके शव का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जा सका था। इसलिए अभी नहीं कहा जा सकता कि उसकी मौत का क्या कारण रहा होगा।" जिलाधिकारी ने बताया कि गर्ग की मौत की जानकारी प्रशासन से छिपाए जाने और अन्य गड़बड़ियों को लेकर उन्होंने आश्रम के संचालकों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज कराया जाए? उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय समिति की अंतरिम जांच रिपोर्ट के आधार पर आश्रम प्रबंधन से तीन दिन के भीतर नोटिस का जवाब तलब किया गया है और जवाब मिलने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।
सिंह ने बताया कि आश्रम में क्षमता से अधिक बच्चों को भर्ती किए जाने, बच्चों का मेडिकल रिकॉर्ड वैज्ञानिक ढंग से नहीं रखे जाने और संस्थान के रख-रखाव की अन्य गड़बड़ियों का भी जांच में खुलासा हुआ है, लिहाजा कुछ बच्चों को अन्य संस्थाओं में भेजे जाने पर विचार किया जा रहा है।
60 बच्चे अस्पताल में भर्ती, तीन की हालत गंभीर
जांच रिपोर्ट पर आश्रम का पक्ष जानने के लिए इस संस्थान की प्राचार्य अनीता शर्मा से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन कई प्रयासों के बाद भी उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। अधिकारियों ने बताया कि आश्रम के भीतर चार बच्चों ने उल्टी-दस्त से पीड़ित होने के बाद एक और दो जुलाई के बीच दम तोड़ा, जबकि इस संस्थान के एक अन्य बच्चे की कथित तौर पर दिमागी दौरे के कारण 30 जून को मौत हुई थी। उन्होंने बताया कि 29 और 30 जून की दरम्यानी रात एक अन्य बच्चे की मौत के खुलासे के बाद आश्रम में जान गंवाने वाले बच्चों की तादाद बढ़कर छह पर पहुंच गई है। अधिकारियों ने बताया कि आश्रम के 60 बच्चे शहर के शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भर्ती हैं जिनमें से तीन की हालत गंभीर है।
हैजा फैलने से खराब हुई बच्चों की तबीयत
जिलाधिकारी सिंह ने बताया, ‘‘हमें अभी संक्रमण का एकदम सटीक स्त्रोत तो पता नहीं चल सका है, लेकिन शुरुआती जांच रिपोर्ट के आधार पर यह तय है कि आश्रम के ज्यादातर बच्चों की तबीयत हैजा फैलने से खराब हुई।’’ जांच समिति में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि छानबीन में यह भी पता चला है कि जिला चिकित्सालय के एक चिकित्सक को आश्रम के दो बच्चों में 27 जून को उल्टी-दस्त के लक्षण मिले थे, लेकिन आश्रम प्रबंधन ने प्रशासन को इसकी सूचना भी नहीं दी थी। उन्होंने बताया, ‘‘हैरत की बात यह है कि जब प्रशासन का दल दो जुलाई को जांच के लिए आश्रम पहुंचा, तब जाकर दोनों बच्चों को अन्य बीमार बच्चों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया जा सका। ये बच्चे मानसिक रूप से बेहद कमजोर हैं और वे दूसरों को आपबीती तक नहीं बता सकते।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)
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