मध्य प्रदेश में बढ़ीं सियासी सरगर्मियां, कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए जारी किए 15 उम्मीदवारों के नाम
मध्य प्रदेश में उपचुनाव को लेकर बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच कांग्रेस पार्टी ने 15 रिक्त सीटों पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है।
भोपाल. मध्य प्रदेश में उपचुनाव को लेकर बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच कांग्रेस पार्टी ने 15 रिक्त सीटों पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने दिमनी से रविंद्र सिंह तोमर, अंबाह से सत्य प्रकाश शंखवार, गोहद से मेवाराम जाटव, ग्वालियर से सुनील शर्मा, डबरा से सुरेश राजे, भांडेर से फूल सिंह बरैया, करैरा से प्रागी लाल जाटव, बमौरी से कन्हैयालाल अग्रवाल, अशोकनगर से आशा दोहरे, अनूपपुर से विश्वनाथ सिंह कुंजाम, सांची से मदन लाल चौधरी अहिरवार, आगर-मालवा से विपिन वानखेडे, हाटपिपल्या से राजवीर सिंह बघेल, नेपानगर से रामकिशन पटेल और सांवेर से प्रेमचंद गुड्ड को मैदान में उतारा गया है।
ग्वालियर-चंबल पर गहरा रहा है चुनावी रंग
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही न हुआ हो, मगर चुनाव की ²ष्टि से सबसे महत्वपूर्ण इलाके ग्वालियर-चंबल में चुनावी रंग चढ़ने लगा है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल -- कांग्रेस और भाजपा के झंडे बैनर तो नजर आ ही रहे हैं, वही तल्ख बयानबाजी भी बढ़ती जा रही है। चुनाव आयोग ने बिहार के विधानसभा चुनावों के साथ ही मध्य प्रदेश के 27 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है और यह उप-चुनाव 29 नवंबर से पहले होना प्रस्तावित है। राज्य में उप-चुनाव किस तारीख को होंगे, इसका ऐलान नहीं हुआ है मगर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
उपचुनाव में महत्वपूर्ण इलाका ग्वालियर-चंबल है क्योंकि यहां के 16 विधानसभा क्षेत्र में उप-चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा दोनों राजनीतिक दलों ने इस इलाके में अपनी पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दिया है। भाजपा के प्रमुख चेहरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सक्रियता इस इलाके में बढ़ गई है। यह नेता यहां के चार दिवसीय दौरे पर हैं और उनकी विधानसभावार सभाएं तो हो ही रही हैं साथ में सौगातें भी देने का सिलसिला जारी है। इन सभाओं में भाजपा नेता सीधे तौर पर कांग्रेस की 15 माह की पूर्ववर्ती सरकार पर हमले बोल रहे हैं। इन नेताओं के निशाने पर कमल नाथ और उनकी सरकार की कार्यशैली है, भ्रष्टाचार के साथ झूठे वादे किए जाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस भी अपनी रणनीति के मुताबिक अभियान चलाए हुए है। नेताओं के दौरे हो रहे हैं तो दूसरी ओर पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह के नेतृत्व में नदी बचाओ यात्रा निकाली जा रही है। इस नदी बचाओ यात्रा में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया जिनमें मोहन प्रकाश, अरुण यादव और दिग्विजय सिंह जैसे नेता शामिल हैं।
कांग्रेस इस इलाके में सिंधिया और उनके साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं को गद्दार के तौर पर प्रचारित कर रही है। छल कपट से सरकार देने के आरोप लगाते हुए कांग्रेस कह रही है कि जनता आगामी चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएगी। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कमल नाथ का भी ग्वालियर-चंबल दौरा प्रस्तावित है। इसकी तैयारियां भी जोरों पर है। कमल नाथ के इस दौरे को कांग्रेस के लिहाज से बड़ा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्वालियर चंबल इलाके में पूरा चुनाव कांग्रेस बनाम सिंधिया होने वाला है। उसकी वजह भी है क्योंकि यह इलाका सिंधिया के प्रभाव का है तो दूसरी ओर 16 उन स्थानों पर चुनाव होने वाले हैं जहां से पिछला चुनाव सिंधिया के करीबियों ने जीता था। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या चेहरे की है। देखना होगा कि कांग्रेस इसका मुकाबला कैसे कर पाती है, क्योंकि भाजपा के पास मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा चेहरा है, तो वहीं कांग्रेस के पास चंबल-ग्वालियर में ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जिसे वह आगे कर सके। कांग्रेस का सारा दारोमदार कमल नाथ पर ही है। (IANS)