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Hindi News मध्य-प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सतर्क हुई कांग्रेस, लोकसभा के लिए ऐसे करेगी अपने उम्मीदवारों का चयन

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सतर्क हुई कांग्रेस, लोकसभा के लिए ऐसे करेगी अपने उम्मीदवारों का चयन

विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस पार्टी ने सभी 29 लोकसभा क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त कर दिए गए हैं। यह प्रभारी ही राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रिपोर्ट पहुचाएंगे, जिसे सर्वे की रिपोर्ट में भी शामिल किया जाएगा।

Madhya Pradesh, Congress- India TV Hindi Image Source : FILE कांग्रेस

भोपाल: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस लोकसभा का चुनाव गंभीरता से लड़ने के मूड में नजर आ रही है। यही कारण है कि पार्टी ने उम्मीदवार चयन के लिए अभी से सर्वे की शुरुआत कर दी है। हालांकि कहा गया था कि विधानसभा चुनाव में भी सर्वे के आधार पर टिकट दिए गए थे, लेकिन पार्टी को इसके बाद भी करारी हार का सामना करना पड़ा था। 

मध्य प्रदेश में हैं लोकसभा की 29 सीटें 

बता दें कि राज्य में लोकसभा की 29 सीट हैं और कांग्रेस के पास वर्तमान में सिर्फ छिंदवाड़ा की सीट है। शेष 28 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव से मिली सीख के बाद लोकसभा के लिए उम्मीदवार चयन में गंभीरता बरत रही है। यही कारण है कि उसने तीन स्तर पर सर्वे करने का फैसला कर लिया है। इनमें से दो सर्वे प्रदेश की कांग्रेस इकाई करेगी तो एक सर्वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी करवाएगी।

पार्टी ने सभी सीटों पर प्रभारी नियुक्त किए

पार्टी की ओर से सभी 29 लोकसभा क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त कर दिए गए हैं। सूत्रों का दावा है कि पार्टी ने उम्मीदवार को लेकर संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारी, पूर्व विधायक, पंचायतों के पदाधिकारी, मोर्चा के पदाधिकारी से संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है। इन लोगों से आ रही राय के आधार पर तीन नाम तय किए जाएंगे और उनमें से किसी एक को उम्मीदवार बनाया जाएगा।

'सर्वे के आधार पर टिकट बटना मुश्किल'

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस में उम्मीदवार चयन के लिए सर्वे और आम सहमति बनाने के दावे किए जाते हैं। मगर, ऐसा हो नहीं पाता, क्योंकि, उम्मीदवारों के चयन में बड़े नेताओं का दखल रहता है। उसी का नतीजा होता है कि पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है। विधानसभा चुनाव इस बात की गवाही देते हैं कि राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल था। मगर, उम्मीदवार चयन की जो प्रक्रिया अपनाई गई, उससे पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा।