भोपाल. मध्य प्रदेश में उपचुनाव के लिए सियासी सरगर्मियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। सभी दल उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए जमकर प्रचार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस पार्टी की तरफ से चार विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया है। कांग्रेस पार्टी ने मुरैना सीट से राकेश मवई, मेहगांव सीट से हेमंत कटारे, मल्हारा सीट से राम सिया भारती और बादनावर सीट कमल पटेल को प्रत्याशी बनाया है।
मप्र में 'जुबान फिसलने' से हो रही नेताओं की जग हंसाई
मध्यप्रदेश में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में नेताओं का जुबान फिसलना जहां पार्टी के लिए मुसीबत बन रहा है, वहीं इससे उनकी जग हंसाई भी हो रही है। राज्य में 3 नवंबर को 28 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होने वाला है, इसके लिए चुनाव प्रचार भी जोरों पर है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता, उम्मीदवार और संभावित उम्मीदवार अपनी जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। बड़ी संख्या में नेताओं ने दल-बदल किया है और यही कारण है कि उनकी जुबान भी खूब फिसल रही है। इन बयानों और नेताओं की कारगुजारियों के सोशल मीडिया पर वीडियो भी खूब वायरल हो रहे हैं।
पिछले दिनों दतिया के भांडेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार फूल सिंह बरैया का एक विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। इस वीडियो में बरैया कथित तौर पर जातिवाद पर विवादित बयान देते हुए देखे गए, तो मांधाता से भाजपा के उम्मीदवार नारायण पटेल का कांग्रेस के लिए वोट मांगने का वीडियो भी वायरल हुआ। इतना ही नहीं, शिवपुरी जिले के पोहरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार हरिवल्लभ शर्मा ने तो कमल नाथ को ही झूठा बता दिया।
एक तरफ जहां सोशल मीडिया पर नेताओं के बयान के वीडियो वायरल हो रहे हैं, तो दूसरी ओर अनूपपुर से भाजपा उम्मीदवार व मंत्री बिसाहूलाल सिंह के नोट बांटने का वीडियो वायरल हुआ, ठीक इसी तरह मुंगावली में मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव का साड़ी बांटने का वीडियो वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे वीडियो पर दोनों ही राजनीतिक दल अपनी ओर से तरह-तरह की सफाई देने में लगे हैं और एक-दूसरे पर हमला भी बोल रहे हैं। कांग्रेस तो भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव आयोग में कई शिकायतें दर्ज करा चुकी है। वहीं भाजपा, कांग्रेस पर पुराने वीडियो जारी करने का आरोप लगा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनाव के चलते नेताओं और उम्मीदवारों पर दबाव कुछ ज्यादा ही है। बड़ी संख्या में नेताओं ने दलबदल किया है और यही कारण है कि कई बार वे यह भूल जाते हैं कि इस समय किस राजनीतिक दल में हैं। यही कारण है कि वे वोट मांगने तक में गड़बड़ी कर जाते हैं और उनकी जुबान भी फिसल जाती है। अभी तो उपचुनाव दूर है, देखिए आगे-आगे और होता है क्या।