ग्वालियर (मध्यप्रदेश)। मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित गजराराजा शासकीय मेडिकल कॉलेज के जयारोग्य अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 70 वर्षीय एक हिन्दू व्यक्ति के मरने पर उसके परिजन को 64 वर्षीय एक मुस्लिम व्यक्ति का शव थमा दिया गया। यह परिवार उसे अपने परिजन का शव समझकर ले गया और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया, जबकि वह शव मुसलमान व्यक्ति का था। बाद में जब मुस्लिम परिवार शव लेने पहुंचा तो यह मामला खुला और परिजनों ने पुलिस थाने पर जमकर हंगामा किया। पुलिस ने जांच का आश्वासन देकर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सतेन्द्र सिंह तोमर ने बताया, 'मुरैना के इर्तजा मोहम्मद (64) को 11 अगस्त को उसके परिजन ने हाथ में तकलीफ के चलते जयारोग्य अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां 13 अगस्त को उसकी मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल के चिकित्सकों ने इर्तजा मोहम्मद के परिजन से कहा कि जब तक कोरोना वायरस संक्रमण की जांच रिपोर्ट नहीं आएगी, तब तक शव नहीं दिया जाएगा।' उन्होंने कहा कि शव को जयारोग्य अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया गया। तोमर ने बताया कि 15 अगस्त की रात को उसकी रिपोर्ट आई, जिसमें मोहम्मद में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद परिजन शव लेने शवगृह पहुंचे, लेकिन वहां शव नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि बाद में परिजन को मालूम हुआ कि मोहम्मद का शव किसी दूसरे को दे दिया गया। इसकी सूचना कंपू पुलिस थाने में की गई। तोमर ने बताया कि 13 अगस्त की शाम को बहोड़ापुर निवासी सुरेश बाथम की मौत भी हुई थी। उसकी कोरोना वायरस रिपोर्ट ठीक आने पर उसके परिजन शव लेकर चले गए। लेकिन, शवगृह ने गलती से उन्हें मोहम्मद का शव दे दिया और वे उसका अंतिम संस्कार भी कर चुके हैं और सुरेश बाथम का शव शवगृह में रखा हुआ है।
इसके बाद शनिवार रात से ही मोहम्मद के परिजनों ने कंपू थाने पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। मोहम्मद के परिजन पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, गार्ड और मृतक सुरेश बाथम के परिजनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चाहते हैं। पुलिस ने बताया कि इस बीच हंगामे की आशंका देखते हुए अस्पताल और थाने में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया और मोहम्मद के परिजन को आश्वासन दिया गया है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और इस पूरे मामले की जांच सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) करेंगे।