फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ का त्यागपत्र, राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा
करीब दो हफ्ते लंबी राजनीतिक खीचतान के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया है।
भोपाल। करीब दो हफ्ते लंबी राजनीतिक खीचतान के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया है। कमलनाथ ने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस करके त्यागपत्र देने का ऐलान किया और फिर गवर्नर के पास पहुंचकर अपना त्यागपत्र दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आज शाम 5.30 बजे तक कमलनाथ को विधानसभा में बहुमत साबित करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने आज विधानसभा की कार्य सूची जारी की। इस कार्य सूची के मुताबिक दोपहर 2 बजे से फ्लोर टेस्ट की कार्रवाई शुरू की जाएगी। लेकिन इससे पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कमल नाथ ने कहा कि 15 महीने के कार्यकाल के दौरान मैंने हमेशा विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जनता ने राज्य की हालत सुधारने के लिए हमें 5 साल का मौका दिया था। इस दौरान मैंने राज्य को नई दिशा देने का मौका मिला। भाजपा मेरी सरकार बनने के बाद पहले दिन से मेरी सरकार गिरने की बात कह रही थी। भाजपा ने लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की है। जनता इसे कभी माफ नहीं करेगी। जनता ने देखा है कि कैसे मेरे 22 विधायकों को बेंगलुरू में बंधक बनाया गया। एमएलए को तोड़ने की सच्चाई थोड़ी देर में सामने आ जाएगी।
40-45 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने हमेशा विकास में विश्वास रखा, केंद्र में जब मैं यूपीए सरकार में मंत्री था, जितनी मदद हो पाई मैने करने का प्रयास किया। समय इसका गवाह है।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई हुई थी लेकिन अब वह बैठक नहीं की है और 12 बजे सीधे प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंच गए। गुरुवार तक कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी से त्यागपत्र दे चुके विधायकों को मनाने का काफी प्रयास किया लेकिन अंतिम प्रयास विफल होने के बाद आज उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 230 है जिसमें, लेकिन दो विधायकों का निधन हो चुका है जिस वजह से संख्या घटकर 228 रह गई है, कांग्रेस के 6 विधायक पहले ही त्यागपत्र दे चुके हैं और 16 बागी विधायकों का त्यागपत्र भी स्पीकर ने मंजूर कर लिया है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के पास अब जरूरत के लायक संख्याबल नहीं बचा है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के पास संख्याबल नजर आ रहा है।