मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नसबंदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए फरमान जारी कर दिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने राज्य के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कम से कम एक सदस्य की नसबंदी कराने का आदेश जारी किया है। आदेश का पालन नहीं होने पर उनको वीआरएस दिया जाएगा। इसके अलावा राज्य की कमल नाथ सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पुरूष नसबंदी के लक्ष्य पूरा ना करने पर में वेतन में कटौती के निर्देश भी दिए हैं।
राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार टारगेट पूरा ना करने पर ''नो पे, नो वर्क'' के आधार और वेतन ना देने की बात कही है। राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है। यदि कर्मचारी ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें ''नो-वर्क, नो-पे'' के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा।
दरअसल, परिवार नियोजन के अभियान के तहत हर साल जिलों को कुल आबादी के 0.6 फीसदी नसबंदी ऑपरेशन का टारगेट दिया जाता है।वर्तमान में प्रदेश के अधिकांश जिलों में फर्टिलिटी रेट तीन है, सरकार ने इसे 2.1 करने का लक्ष्य रखा है। जिसे पूरा करने के लिए हर साल करीब सात लाख नसबंदी की जानी हैं लेकिन पिछले साल हुई नसबंदियों का आंकड़ा सिर्फ हजारों में रह गया था। इसी के चलते राज्य सरकार ने कर्मचारियों को परिवार नियोजन के अभियान के तहत टारगेट पूरा करने के निर्देश दिए हैं।