Mahakal Bhasma Aarti: जिस भस्म आरती के दौरान गुलाल उड़ाते ही लगी आग, जानें उससे जुड़ी ये खास बातें
शिव भक्तों में भस्म आरती के प्रति गहरी आस्था का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में इस कदर भीड़ उमड़ती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती।
होली के त्योहार पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में सोमवार सुबह जिस भस्म आरती के दौरान आग लगने की घटना हुई, उसका (भस्म आरती का) बड़ा धार्मिक महत्व है। अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में 14 लोग झुलस कर घायल हो गए जिनमें मंदिर के पुजारी और "सेवक" (सहायक) शामिल हैं। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर में प्रतिदिन तड़के की जाने वाली भस्म आरती के गवाह बनने के लिए देश-दुनिया के भक्त उज्जैन पहुंचते हैं।
रात 1 बजे से लगती है भक्तों की कतारें
शिव भक्तों में भस्म आरती के प्रति गहरी आस्था का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में इस कदर भीड़ उमड़ती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती। भस्म आरती के लिए हर रोज बड़ी तादाद में भक्त ऑनलाइन बुकिंग भी कराते हैं। भोर में 4 बजे शुरू होने वाली भस्म आरती के लिए रात एक बजे से महाकाल मंदिर परिसर में भक्तों की कतार लगनी शुरू हो जाती है क्योंकि वे गर्भगृह के ठीक सामने बैठकर भस्म आरती के दौरान महाकालेश्वर के अच्छे से दर्शन करना चाहते हैं।
जानें महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी ये खास बातें-
- भस्म आरती के दौरान केवल पुजारी गर्भगृह में मौजूद रहते हैं और किसी भी अन्य भक्त को प्रवेश की अनुमति नहीं होती। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि भस्म आरती के दौरान भस्म यानी राख से भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की आरती की जाती है।
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव को "श्मशान के साधक" के रूप में भी देखा जाता है और भस्म को उनका "श्रृंगार" भी कहा गया है। जिस भस्म से महाकालेश्वर की आरती की जाती है, उसे गाय के गोबर से बने उपले को जलाकर तैयार किया जाता है।
- किंवदंतियों के मुताबिक वर्षों पहले महाकालेश्वर की आरती के लिए जिस भस्म का इस्तेमाल किया जाता था, वह श्मशान से लाई जाती थी। हालांकि, मंदिर के मौजूदा पुजारी इस बात को खारिज करते हैं।
- भस्म आरती की प्रक्रिया करीब 2 घंटे चलती है। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाकालेश्वर का पूजन और श्रृंगार किया जाता है।
- प्रक्रिया के अंत में भगवान शिव को भस्म अर्पित करके उनकी आरती गाई जाती है। इस दौरान घंटे-घड़ियालों के नाद और महाकाल की भक्ति में डूबे लोगों के सामूहिक स्वर में आरती गाने से माहौल बेहद भक्तिमय हो जाता है।
भस्म आरती के दौरान आग भड़की
गौरतलब है कि कल होली के त्योहार वाले दिन महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान बड़ा हादसा हो गया। गर्भगृह में भस्म आरती के दौरान हुए इस हादसे में एक दर्जन लोग झुलस गए हैं। दरअसल, होली उत्सव की वजह से मंदिर में गुलाल उड़ाया जा रहा था, जिसकी वजह से आग फैल गई। इस आग की चपेट में आने से एक दर्जन पंडे, पुजारी और सेवक झुलस गए। इन सभी का उज्जैन के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
CM मोहन के बेटे और बेटी भी थे मौजूद
गनीमत ये रही कि इस हादसे में सीएम मोहन यादव के बेटे और बेटी बाल-बाल बच गए। वह घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर मौजूद थे। इस हादसे में महाकाल मंदिर में भस्मारती के मुख्य पुजारी संजय गुरु, विकास पुजारी, मनोज पुजारी, अंश पुरोहित, सेवक महेश शर्मा, चिंतामन गेहलोत सहित कई लोग घायल हुए हैं। (भाषा)
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