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Hindi News मध्य-प्रदेश कचरा बीनने वाली महिला की राहुल गांधी से गुहार, कहा- परिवार के पास पक्का घर और बिजली-पानी भी नहीं

कचरा बीनने वाली महिला की राहुल गांधी से गुहार, कहा- परिवार के पास पक्का घर और बिजली-पानी भी नहीं

कन्याकुमारी से श्रीनगर तक निकाली जा रही कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की अगुवाई कर रहे राहुल गांधी ने कचरा बीनने वाली 45 वर्षीय महिला से शनिवार को मुलाकात की जिसने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से कहा कि उसके परिवार के पास पक्का घर और बिजली-पानी की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं।

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राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कन्याकुमारी से श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। इन दिनों उनकी यह पदयात्रा मध्यप्रदेश में है। उनकी यह पदयात्रा जब बड़वाह कस्बे से गुजर रही थी तब राहुल गांधी ने सड़क किनारे खड़ी भीड़ में शामिल शन्नू (45) और उसके परिवार को अपने पास बुलाया और उनसे बातचीत की। मुलाकात के बाद शन्नू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम गरीब लोग हैं और अलग-अलग स्थानों पर कचरा बीनकर गुजारा करते हैं। हम कच्ची झोंपड़ी में रहते हैं, जिसमें बिजली-पानी की व्यवस्था तक नहीं है।’’ शन्नू ने कहा कि उसकी और उसके परिवार की समस्याओं की कहीं सुनवाई नहीं हो रही। शन्नू ने कहा,"मेरे बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते।"

आज शाम डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली महू पहुंचेगी यह यात्रा

इस बीच, कांग्रेस के उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने पति रॉबर्ट वाड्रा और बेटे रेहान के साथ लगातार तीसरे दिन ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुईं। यह यात्रा संविधान दिवस पर शनिवार शाम डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली महू पहुंचेगी। कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि महू में इस मौके पर एक जनसभा भी आयोजित की जाएगी, जिसे गांधी के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी संबोधित करेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों नेता आम्बेडकर की जन्मस्थली पर बने स्मारक पहुंच कर संविधान निर्माता को श्रद्धा सुमन भी अर्पित करेंगे। 

चार दिसंबर को राजस्थान में प्रवेश करेगी यह यात्रा

भाजपा शासित मध्यप्रदेश में गांधी की अगुवाई वाली यात्रा 23 नवंबर को बुरहानपुर जिले से दाखिल हुई थी। कांग्रेस के घोषित कार्यक्रम के मुताबिक यह यात्रा चार दिसंबर को राजस्थान में दाखिल होने से पहले 12 दिन के भीतर पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में 380 किलोमीटर का फासला तय करेगी। इस कृषि प्रधान अंचल में आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है।