बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री फिर बैकफुट पर, Tweet कर जताया खेद, जानें क्या है मामला
परशुराम जयंती के मौके पर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने भक्तों से सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े हुए थे तमाम प्रश्नों के जवाब दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने भगवान परशुराम के बारे में बताना शुरू किया और कहा कि ये क्षत्रिय अचानक से प्रकट कहां से हो जाते थे, इस पर थोड़ी सी चर्चा करते हैं।
भोपाल: अपने बयानों के चलते कई बार विवादों में आ चुके बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक फिर बैकफुट पर हैं। हैहयवंशी क्षत्रिय समाज पर की गई टिप्पणी पर धीरेंद्र शास्त्री ने अब सफाई दी है। बागेश्वर धाम के टि्वटर हैंडल पर पर लिखा है, "विगत कुछ दिनों से एक विषय संज्ञान में आया है एक चर्चा के मध्य में मेरे द्वारा भगवान परशुराम जी एवं महाराज सहस्त्रबाहू अर्जुन जी के मध्य हुए युद्ध के विषय में जो भी कहा गया है वह हमारे पवित्र हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आधार पर कहा गया है… हमारा उद्देश्य किसी भी समाज अथवा वर्ग की भावनाओं को आहत करने का नही था न ही कभी होगा, क्योंकि हम तो सदैव सनातन की एकता के पक्षधर रहे हैं। फिर भी यदि हमारे किसी शब्द से किसी की भावना आहत हुई हो तो इसका हमें खेद है। हम सब हिन्दू एक हैं। एक रहेंगे। हमारी एकता ही हमारी शक्ति है।''
परशुराम जयंती के दिन की थी टिप्पणी
दरअसल, परशुराम जयंती के मौके पर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने भक्तों से सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े हुए थे तमाम प्रश्नों के जवाब दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने भगवान परशुराम के बारे में बताना शुरू किया और कहा कि ये क्षत्रिय अचानक से प्रकट कहां से हो जाते थे, इस पर थोड़ी सी चर्चा करते हैं। सहस्त्रबाहु जिस वंश से था, उस वंश का नाम था हैहय वंश। हैहय वंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने फरसा अपने हाथ में उठाया। हैहय वंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला, स्त्रियों पर बलात करने वाले थे।
बाबा बागेश्वर यहां नहीं रुके। आगे उन्होंने बताया साधु का काम ही है दुष्टों को ठिकाने लगाते रहना। इसलिए उन्होंने हैहयवंश के राजाओं को मारना प्रारंभ किया, लेकिन आपने शास्त्र की मर्यादाओं का पालन करते हुए कभी भी न तो स्त्रियों पर अपना परसा उठाया, न ही बालक-बालिकाओं पर अपना परसा उठाया। उन्होंने आताताई राजाओं को मार दिया, पर उनके बच्चों को हाथ नहीं लगाया। लेकिन जब वह बच्चे युवा हुए और उन्होंने भी अत्याचार प्रारंभ किया और उन्होंने भी अपने पिता का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम पर आक्रमण किया तो फिर भगवान परशुराम ने उन आताताइयों का वध किया, फिर उनकी संतान हुई फिर उनका वध किया।
भगवान परशुराम क्षत्रियों के विरोधी नहीं
दरअसल, माना जाता रहा है ब्राह्मणों के आराध्य भगवान परशुराम ने क्षत्रियों का 21 बार पृथ्वी से संहार किया था। इसी कथा को सुनाते हुए बाबा बागेश्वर ने कहा ऐसे क्रम में 21 बार पृथ्वी को उन क्षत्रियों से विहीन किया, जो बड़े ही दुष्ट प्रवृत्ति के और निर्मम थे। इससे सिद्ध होता है भगवान परशुराम क्षत्रियों के विरोधी नहीं थे। भगवान परशुराम तो पापचारी, अत्याचारी के विरोधी थे। ऐसे आताताई का वध करना अधर्म नहीं है। इसलिए भगवान परशुराम सभी समाज के लिए पूजनीय हैं। उनका फरसा केवल ब्राह्मणों के लिए नहीं उठा, उनका फरसा समस्त चराचर रहने वाले जीवों के कल्याण लिए उठा था। इसलिए भगवान परशुराम केवल एक विशेष जाति समुदाय तक सीमित नहीं हैं। भगवान परशुराम सभी के लिए है और उनकी जो कर्मयोद्धा की नीति है, उस कर्मयोद्धा की नीति को हम सभी को स्वीकार करना चाहिए।
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बाबा बागेश्वर का यही बयान देशभर में हैहयवंश समाज को नागवार गुजरा। एमपी के सीहोर में हैहयवंश समाज ने थाना कोतवाली में शिकायत दर्ज की थी। साथ ही चेतावनी दी थी कि अगर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री माफी नहीं मांगेंगे तो पूरे देश में FIR दर्ज कराई जाएगी।