'हाथरस वाला बाबा कोई बाबा नहीं.. जूता पहनकर कोई प्रवचन नहीं होता', हादसे पर बोले बाबा बागेश्वर
27वें जन्मदिन पर बाबा बागेश्वर ने कई अहम मुद्दों को लेकर इंडिया टीवी से खास-बातचीत की। उन्होंने हाथरस भगदड़ पर भी कहा कि वो हाथरस वाले बाबा को बाबा नहीं मानते हैं।
बाबा बागेश्वर ने अपने जन्मदिन से पहले इंडिया टीवी से एक्सक्लूसिव बात की। इस बातचीत में उन्होंने मोदी जी को तीसरी बार पीएम बनने पर बधाई दी, साथ ही हाथरस हादसे पर भी बात की। हाथरस हादसे पर उन्होंने कहा कि हाथरस वाले बाबा भोले उर्फ नारायण साकार हरि कोई बाबा नहीं हैं। इसके अलावा उन्होंने हिंदू और हिंदुत्व को लेकर भी अपनी बात रखी।
सवाल- बालाजी से अपने जन्मदिन के दिन क्या मांगा?
जवाब- कुछ भी मांग नहीं है लेकिन जो हिंदू राष्ट्र की रफ्तार धीमी है वह गति पकड़ ले हिंदू हिंदुत्व और हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र लोगों की रग-रग में हम भर दें। इस वर्ष में हम संकल्प ले रहे हैं कि हम पैदल यात्रा करके हिंदू साल जो रहेगा हम हिंदू राष्ट्र के लिए मांग करेंगे। गलियारों में चौबारों में उन लोगों में जो नुक्कड़ पर लोग हैं उनके अंदर हिंदू हिंदुस्तान और हिंदू राष्ट्र की क्रांति ज्वाला भरेंगे ताकि बहुत जल्द भारत हिंदू राष्ट्र बन सके।
सवाल- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ कहना चाहेंगे?
जवाब- मोदी जी को तीसरी बार पीएम बनने पर साधुवाद है, धन्यवाद है। कृष्ण जन्मभूमि और POK वाला कार्य हो जाए तो अच्छा मौका है इससे बेहतरीन मौका नहीं हो सकता। देश का जवान और किसान इस देश की रीढ़ की हड्डियां है। इस पर भी बहुत कार्य होना आवश्यक है क्योंकि बड़े तो बहुत बड़े हैं जो हमारे आसपास रहने वाले, हम अनुभव करते हैं अभी भी बहुत नजर रखने की आवश्यकता है। अगर उन चीजों पर वह कोई योजना ले आवें जैसे मुफ्त शिक्षा मुफ्त स्वास्थ्य हो जावे निश्चित भारत अव्वल होगा।
सवाल- हाथरस वाला हादसा कैसे देखते हैं?
जवाब- हाथरस वाला बाबा कोई बाबा नहीं जो आप लोगों ने दिखाए जूता पहनकर कोई प्रवचन होता नहीं है और हमने एक तर्क दिया और अपने लोगों को भी बोलते हैं मंदिर की मूर्ति से ज्यादा मंदिर के पुजारी के प्रति श्रद्धा बढ़ जाती है तब अंधविश्वास फैलता है। नंबर दो हम यह भी कहना चाहते हैं जो लोगों को जो वीडियो बर्थडे के दिन न आने के लिए डाला है यहां चार दिन से अपार भीड़ हो रही और भीड़ जाने का नाम नहीं ले रही और लगातार लोग आ रहे थे। अभी भी लगभग एक डेढ़ लाख है रोकने के बाद भी आ गए। कल रात से कार्यक्रम चल रहा है। दो दिन उत्सव के हो गए तो हमारा उद्देश्य उसे वीडियो का यह था आप लोग घर बैठकर उत्सव मनाएं। जितना हमारा ध्यान रखते हैं, हमारे जीवन का ध्यान रखते हैं, हमारे उत्सव का ध्यान रखते हैं, हमारे वस्त्रों का ध्यान रखते हैं, हमारे संकल्पना का ध्यान रखते हैं तो गुरु का दायित्व है शिष्यों की जान माल का रक्षा करना, स्वास्थ्य की रक्षा करना इसलिए हमने वीडियो जारी किया।
'जूते-चप्पल पहनकर कुछ भी करना शास्त्रों के मुताबिक नहीं'
हमारे शास्त्रों में जूते-चप्पल पहनकर कुछ भी करना शास्त्रों के मुताबिक नहीं है। निश्चित रूप से दुर्भाग्य पूर्ण है उनकी उनकी वेशभूषा लेकिन एक आवरण होता है पत्रकारिता का आपका आवरण हो अगर आप माइक डालो तो आप भी हमारे यहां से धक्का खाकर जाएंगे कोई पुलिस वाला साधारण वर्दी में आ जाए तो गेंद सी फेंका जाएगा लेकिन वर्दी में आएंगे तो सम्मान किया जाएगा। लेकिन साधु का सम्मान ही माला,तिलक,वस्त्र, वेशभूषा है। लोगों को सजग रहने की आवश्यकता है। लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है। यह कहना चाहते हैं कि आप जागो अपने आप में खुद क्रांति करो फिर आपको किसी के पीछे दौड़ना नहीं पड़ेगा।
'हम भी मानते हैं कि प्रोटोकॉल का पालन'
यहां पर अच्छे तरीके से व्यवस्था की है हम भी मानते हैं कि प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और ऐसे समागमों का खा गा (यानी आओ और जाओ) होना चाहिए इस कारण 21 तारीख के लिए अपील की है यह भीड़ रोकी जा सके। पर वो नहीं मानेंगे। हमने तय किया है कि 21 जुलाई को पहले शासन के साथ बैठक करेंगे, जहां पर कन्या विवाह हुआ था वहां 10-15 लाख लोग बैठ सकते हैं ताकि वहां पर किसी को अव्यवस्था न हो सब कुछ व्यवस्थित हो जाए।
बागेश्वर धाम से ओरछा पैदल जाएंगे
बहुत जल्द हम बागेश्वर धाम से ओरछा पैदल जाएंगे फिर नुक्कड़-नुक्कड़ जाएंगे। देश के चारों दिशाओं के कोने में जाकर लोगों को जगाएंगे। आपको भी भगाएंगे, आपकी भी मेहनत करवाएंगे और साधु का काम ही है जगाना। हम लालटेन दे सकते हैं, हम ईश्वर नहीं है, न आपको कोई चमत्कार दे सकते हैं। हम गुरु हैं, हम लालटेन दे सकते हैं। आपकी जो नजर नीचे देखने की है हम आपको ऊपर देखने की प्रेरणा दे सकते हैं।
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