आगर मालवा में सरपंच चुनाव से पहले हिन्दू-मुस्लिम को लेकर राजनीति तेज हो गई है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मालवा प्रांत के प्रचार प्रसार प्रमुख डॉ कुंदन चंद्रावत ने विवादित बयान देकर राजनीति गर्मा दी है। आगर मालवा में विहिप के मालवा प्रांत के प्रचार प्रसार प्रमुख डॉ कुंदन चंद्रावत ने शौर्य रैली के दौरान विवादित बयान दिया है। डॉ कुंदन चंद्रावत ने कहा कि हमारे ऊपर जो कलंक स्वरूपी यह मस्जिद गढ़ दी गई है, मदरसे गढ़ दिए गए हैं, मिशनरियां गढ़ दी गई हैं इनको उखाड़कर इस धरा से फेंक दिया जाएगा। जो हिंदू हितों की अनदेखी करेगा वह चाहे सरपंच की कुर्सी हो या दिल्ली की सल्तनत हो उसे उखाड़कर फेंक दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे पंचायतों के चुनाव पास आ रहे हैं, राजनीति के अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। आगर मालवा में खुलकर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला जा रहा है। इसी कड़ी में आगर मालवा जिला मुख्यालय पर रविवार को विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल द्वारा छावनी झंडा चोक से एक विशाल शौर्य संचलन यात्रा का आयोजन किया गया था। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और नगर के मुख्य मार्गो से शौर्य संचलन निकाला गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे प्रांत के प्रचार प्रसार प्रमुख डॉक्टर कुंदन चंद्रावत ने मंच से अपने भाषण में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 1960 के दशक में हिंदू परिषद की स्थापना इस विचार के साथ की गई कि हिंदू धर्म और हिंदू कर्म और विचार की रक्षा की जाएगी और हमारे ऊपर जो कलंक स्वरूपी यह मस्जिद गढ़ दी गई है, मदरसे गढ़ दिए गए हैं, मिशनरियां गढ़ दी गई हैं, इनको उखाड़कर इस धरा से फेंक दिया जाएगा और इसकी शुरुआत अभी हमने कुछ माह पहले देखी थी और इससे पहले भी 1992 में भी देखी थी। इस हिंदू समाज को सुषुप्त अवस्था में धकेल दिया गया था और समाज को इतनी बुरी तरह से बिखेर दिया गया था।
साथ ही डॉक्टर कुंदन चंद्रावत ने कहा कि हमारा सत्ता से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन 100 करोड़ हिंदू ने अपनी ताकत से यह कर दिखाया कि दिल्ली की कुर्सी पर वही बैठेगा जो हिंदू हित की बात करेगा। आगर की गद्दी पर वही बैठेगा जो हिंदू हित की बात करेगा। आगर के गांव की सरपंच की कुर्सी पर भी वही बैठेगा जो हिंदू हित की बात करेगा। जो हिंदू हितों की अनदेखी करेगा वह चाहे सरपंच की कुर्सी हो या दिल्ली की सल्तनत हो उसे उखाड़कर फेंक दिया जाएगा। बहुत से लोग यह समझ गए हैं इसलिए कोट के ऊपर जनेऊ पहन रहे हैं और अब कह रहे हैं रामलला का ताला हमने खुलवाया था।