अनूपपुर: आज हम भले ही चांद पर पहुंचने के बाद सूर्य की ओर भी मिशन लॉन्च कर चुके हों लेकिन हमारे देश के नेता विकास को लेकर बस भाषण ही दे रहें हैं। इस चुनावी मौसम में हमारे नेतागण वोट की खातिर उस गांव तक जानें को भी मजबूर हैं जहां हमारे माननीय आज तक लोगों को पीने का साफ पानी तक मुहैया नहीं करा पाए। सच्चाई तो ये है कि मध्य प्रदेश के एक गांव में आज भी इंसान और जानवर एक ही गड्ढे का पानी पीने को मजबूर हैं और जानवरों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
झिरिया रूपी गड्ढे पर निर्भर इंसान और जानवर
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित नर्मदा नदी के किनारे बसा ग्राम बीजापुरी की। यहां की आबादी लगभग 350 है और जिसमें करीब 150 मतदाता हैं। यहां के ग्रामीण आज भी आदिमानव की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। इस गांव में लोगों के चलने लायक सड़क तक नहीं है। इस गांव की जो तस्वीरें देखने में आ रही हैं, वो यहां के मतदाताओं के वोट लेने की सारी पोल खोल रहीं हैं। आजादी के बाद से आज तक इन्हें वोट के नाम पर छला जा रहा है। गांव में दिखावे के लिए नल तो लगा है पर उस नल से पानी कभी नही टपकता है। आलम ये है कि झिरिया रूपी गड्ढे से जानवर और गांव के लोग एक साथ अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं।
बारिश के समय भी पीने के पानी का अकाल
ये हाल सिर्फ अभी का नहीं बल्कि नर्मदा नदी के किनारे बसे इस गांव के लोग बारिश के समय नदी नाले उफान पर होने के कारण बूंद-बूंद पीने के पानी को मोहताज हो जाते हैं। वहीं जब अधिकारियों से इस बारे में बात की गई तो हमेशा की तरह वही रटा रटाया जवाब मिला कि दिखवा के कार्रवाई करवाते हैं। अब ये भी देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जब नेता वोट मांगने इस गांव में जायेंगे तो यहां के रहवासी के लिए क्या सौगात देके जाते हैं। वैसे राजनीति में कहा भी जाता है कि जब-जब चुनाव आता है, चावल मांगों पुलाव आता है।
(रिपोर्ट- विशाल खण्डेलवाल)
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