MP News: एमपी में कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को नामीबिया से लाया गया है। इसी बीच अधिकारी ने बताया कि इस नेशनल पार्क में 20 से 25 चीतों को बसाने के लिए पर्याप्त जगह और संसाधन हैं। नामीबिया से विशेष बी747 विमान से लाए गए आठ चीतों को केएनपी में 17 सितंबर को छोड़ा गया, जिससे यह उद्यान पूरी दुनिया में सुर्खियों में आ गया है। इन आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने 1952 में भारत में विलुप्त हुए चीतों की आबादी को फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को शनिवार सुबह केएनपी के विशेष बाड़ों में छोड़ा। मोदी ने तीन चीते छोड़े, जबकि शेष पांच चीतों को अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने छोड़ा।
चीतों के लिए बनाया गया है विशेष बाढ़ा, दो हिस्सों में रखे गए हैं दो-दो चीते
विशेष बाड़े को छह हिस्सों में विभाजित किया गया है। दो हिस्सों में दो.दो चीते रखे गये हैं, जबकि अन्य चार में एक-एक चीता रहेगा। अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार एक महीने के आइसोलेशन की अवधि खत्म होने के बाद उन्हें जंगल में स्वच्छंद विचरण के लिये आजाद किया जाएगा। चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने की परियोजना से जुड़े मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव जेएस चौहान ने विश्वास व्यक्त किया कि यह योजना बहुत सफल होगी। उन्होंने प्रदेश के पन्ना बाघ अभयारण्य का उदाहरण देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ने वन्यजीव संरक्षण और पशु प्रजातियों के पुनरुद्धार की कला की कला में महारत हासिल कर ली है ।
2009 में बाघ विहीन हो गया था पन्ना अभयारण्य
उन्होंने कहा कि 2009 में पन्ना बाघ अभयारण्य बाघ विहीन हो गया था, लेकिन बाद में इसमें सफलतापूर्वक बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम शुरु किया गया। इसके परिणामस्वरुप अब यहां 65 से 70 बाघ एवं उनके शावक हैं। अधिकारियों ने बताया कि नामीबिया से चीते की पहली खेप मिलने के बाद भारत अब दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को आयात करेगा और इसके लिए प्रयास जारी हैं।
निर्धारित क्षेत्र से भटक भी सकते हैं चीते, बोले वन अधिकारी
चौहान ने कहा कि ‘कुनो नेशनल पार्क यानी केएनपी 750 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। इसमें 20 से 25 चीतों को रखने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है। इसके अलावा उनके भोजन के लिए वहां प्रर्याप्त मात्रा में शिकार उपलब्ध हैं। जिनमें हिरण, चीतल, जंगली सूअर नीलगाय एवं चिंकारे शामिल हैं।‘ यह पूछे जाने पर कि कुछ विशेषज्ञों की राय है कि इए चीते को बसाने के लिए कम से कम 100 वर्ग किलोमीटर की जरूरत होती है तो इस पर उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण सही नहीं है। हालांकिए चौहान ने आशंका जताई कि चीते उनके लिए निर्धारित क्षेत्र से भटक सकते हैं, लेकिन मानव-पशु संघर्ष की कोई संभावना नहीं है।