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Hindi News लाइफस्टाइल सैर-सपाटा सावन में भारत के इन शिव मंदिरों में टेक आएं माथा, भोलेनाथ के भक्तों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध

सावन में भारत के इन शिव मंदिरों में टेक आएं माथा, भोलेनाथ के भक्तों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध

अगर आप भी भोलेनाथ के भक्त हैं तो आपको सावन के महीने में भारत में स्थित इन शिव मंदिरों में माथा टेकने के लिए जरूर जाना चाहिए। आइए भारत के कुछ सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिरों के बारे में जानते हैं।

महादेव के प्राचीन मंदिर- India TV Hindi Image Source : FILE महादेव के प्राचीन मंदिर

सावन के महीने की शुरुआत होते ही शिव भक्तों में जुनून देखने को मिलता है। अगर आप भी महादेव को मानते हैं तो आपको भगवान शिव के कुछ मंदिरों को एक्सप्लोर करने के लिए जरूर जाना चाहिए। आपको शिव जी के इन मंदिरों में जाकर बेहद सुकून मिलेगा। आइए शिव जी के कुछ प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों के बारे में जानते है। सावन के शुभ महीने में भगवान शिव के इन मंदिरों में जाकर आपको एक अलग अनुभव महसूस होगा। 

केदारनाथ जाने का बनाएं प्लान

22 जुलाई 2024 से सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है। माना जाता है कि श्रावण मास में शिव जी की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं। अगर आप चाहें तो सावन के महीने में केदारनाथ जाने का प्लान बना सकते हैं। आपको बता दें कि केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ को पांडवों ने बनवाया था। बताया जाता है कि आदि शंकराचार्य द्वारा इसका पुनर्निर्माण कराया गया था।

परिवार के साथ जा सकते हैं नीलकंठ महादेव मंदिर

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित नीलकंठ महादेव का मंदिर भी शिव भक्तों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऋषिकेश से इस मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। मान्यता है कि इस जगह पर शिव जी ने समुद्र मंथन के दौरान विष पिया था। इस मंदिर में माथा टेकने के बाद आपको काफी ज्यादा सुकून मिल सकता है।

उत्तर प्रदेश में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर

उत्तर प्रदेश में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भी भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। महाशिवरात्री के दिन इस जगह पर शोभा यात्रा निकलती है। यकीन मानिए सावन के महीने में इस मंदिर में जाकर माथा टेकने से आप एक अलग अनुभव महसूस कर पाएंगे। माना जाता है कि जो भी काशी विश्वनाथ में अपनी आखिरी सांस लेता है, उसकी आत्मा को मुक्ती मिल जाती है और वो पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है।

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