दक्षिण भारत के मदुरई में स्थित मीनाक्षी अम्मन मंदिर दक्षिण भारत का एक सबसे महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है। मुख्य रूप से अम्मन मंदिर देवी मीनाक्षी को समर्पित है। इसके अलावा इस मंदिर में लक्ष्मी, कृष्ण, रुक्मिणी, ब्रह्मा, सरस्वती, और कई देवी-देवताओं के मंदिर भी शामिल हैं। इस मंदिर की वास्तुकला यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है। यह दक्षिण भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यहां भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की जाती है। भारत के सभी हिस्सों से भारी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
इंद्र ने की थी इस मंदिर की स्थापना
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना इंद्र ने की थी। जब वे अपने कुकर्मो की वजह से तीर्थयात्रा पर जा रहे थे तभी उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। जैसे ही वे मदुरई के स्वयंभू लिंग के पास पहुचे वैसे ही उन्हें लगा की उनका बोझ कोई उठाने लगा है। इसके बाद उन्होंने इस चमत्कार को देखते हुए स्वयं ही मंदिर में लिंग को प्रतिष्टापित किया। इंद्र भगवान शिव की पूजा करते थे और इसीलिए वहां पूल के आस-पास हमें कमल के फूल दिखाई देते है।
मदुरई विवाह
मंदिर से जुड़ा हुआ सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार “मिनाक्षी थिरुकल्याणम (मिनाक्षी का दिव्य विवाह)” है, जिसे वहां के स्थानीय लोग हर साल अप्रैल के महीने में मनाते है। दिव्य जोड़ो के इस विवाह प्रथा को अक्सर दक्षिण भारतीय लोग अपनाते है और इस विवाह प्रथा को “मदुराई विवाह” का नाम भी दिया गया है। पुरुष प्रधान विवाह को “चिदंबरम विवाह” कहा जाता है, जो भगवान शिव के चिदंबरम के प्रसिद्ध मंदिर के प्रभुत्व, अनुष्ठान और कल्पित कथा को दर्शाता है। इस विवाह के दौरान ग्रामीण और शहरी, देवता और मनुष्य, शिवास (जो भगवान शिव को पूजते है) और वैष्णव (जो भगवान विष्णु को पूजते है) वे सभी मिनाक्षी उत्सव मनाने के लिये एक साथ आते है।
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