हिमाचल का खूबसूरत सा शहर मणिकरण अपनी धार्मिक मान्यताओं की वजह से काफी फेमस है। मणिकरण में राजसी गुरुद्वारा यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। पार्वती नदी के किनारे बना ये गुरुद्वारा सिखों का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहां गर्म पानी के झरने और भाप से स्नान करना टूरिस्ट लोगों को खूब पसंद आता है। पहाड़ों की सर्दी यहां आते ही जैसे गायब हो जाती है। पहाड़ों से निकलने वाली भाप यहां के पानी को हमेशा नेचुरली गर्म रखती है। मणिकरण में आप खूबसूरत पहाड़, हसीन वादियां और ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं। अगर आप मणिकरण साहिब जा रहे हैं तो इन जगहों पर घूमना न भूलें।
मणिकरण के फेमस टूरिस्ट प्लेस
- मणिकरण राजसी गुरुद्वारा- पार्वती नदी के किनारे घाटी में बसा ये गुरुद्वारा सिखों का धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि इस गुरुद्वारे में गुरु नानक देव अपने 5 शिष्यों के साथ आएं थे। इस गुरुद्वारे का जिक्र ज्ञानी ज्ञान सिख ने 'बारहवें गुरु खालसा' में भी किया है। इसे सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पूजा स्थलों में से एक माना गया है। यहां रोजाना लंगर लगता है। इस गुरुद्वारे में सिख ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में हिंदू भी पहुंचते हैं।
- मणिकरण हॉट स्प्रिंग्स- मणिकरण जा रहे हैं तो हॉट स्प्रिंग्स जरूर घूमने जाएं। कड़ाके की सर्दी में बिना किसी गीजर के यहां इतना गर्म पानी निकलता है कि आप उसमें चावल और दाल भी उबाल सकते हैं। यहां पहाड़ों के नीचे यूरेनियम और रेडियोधर्मी पदार्थ हैं जो पानी तो गर्म रखते हैं। लोगों का कहना है कि यहां नहाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- मणिकरण हरिंदर पर्वत- मणिकरण नेचर के लिए भी फेमस है। यहां की हरी-भरी घाटियों आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी। कल-कल बहली पार्वती नदी और बर्फ से ढके पहाड़ दिखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। यहां का हरिंदर पर्वत काफी फेमस पर्यटन स्थल है। आप खूबसूरत नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं।
- मणिकरण में कुलंत पीठ- हिंदू धर्म का प्रमुख पीठ भी यहां स्थित है। कहा जाता है कि यहां स्थित विष्णु कुंड में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में डुबकी लगाने से इंसान के अंदर का क्रोध और बुराई खत्म हो जाती हैं। कहा जाता है कि यहां के उबले पानी में पके भोजन को खाने से मनुष्य वैकुंटधाम को जाता है।
- मणिकरण शिव मंदिर- हिमालय की तलहटी में भगवान शिव का भी मंदिर है। कहा जाता है कि देवताओं ने स्वर्ग से आकर यहां भगवान शिव की पूजा की थी। यहां स्थित शिवलिंग काले पत्थर से बने हैं। 1905 में आए तेज भूकंप के बाद भी ये मंदिर गिरा नहीं सिर्फ एक ओर हल्का झुक गया था। तब से ये मंदिर हल्का झुका हुआ ही है।
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