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Hindi News लाइफस्टाइल सैर-सपाटा धारचूला से आदि कैलाश की पूरी यात्रा: बीच में क्या-क्या आता है, कितना समय लगेगा? जानें Travel Guide

धारचूला से आदि कैलाश की पूरी यात्रा: बीच में क्या-क्या आता है, कितना समय लगेगा? जानें Travel Guide

Adi Kailash Yatra: उत्तराखंड में आदि कैलाश यात्रा शुरू हो गई है। आइए, जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी तमाम छोटी-छोटी बातें, खर्च, समय और रास्ते में पड़ने वाले पड़ाव के बारे में।

Dharchula to Adi Kailash- India TV Hindi Image Source : SOCIAL Dharchula to Adi Kailash

Adi Kailash Yatra: उत्तराखंड में इन दिनों आदि कैलाश यात्रा शुरू हो गई है। आदि कैलाश भगवान शिव और मां पार्वती का निवास स्थान है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार आदि कैलाश पंच कैलाशों में से एक है। हिंदू धर्म में ओम पर्वत और आदि कैलाश को बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां का व्याप्त ब्रह्मांडीय ऊर्जा किसी भी व्यक्ति को बदल सकती है। इसके दर्शन मात्र से आपका अंतर्मन शुद्ध और शांत हो सकता है। आज हम इस यात्रा से जुड़े सभी छोटी-बड़ी चीजों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। 

धारचूला से आदि कैलाश की पूरी यात्रा

देश मे रहस्यों से भरे कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां जा तो सकते हैं लेकिन ये यात्रा हर किसी के बस की बात नहीं है। ऐसी ही एक रोमांच और चुनौतियों से भरपूर यात्रा है आदि कैलाश पर्वत की। इस यात्रा में चुनौतियां भी हैं, रोमांच भी है और साथ ही बेहद खूबसूरत रास्तों से गुजरने का अनुभव भी। इसकी शुरुआत के लिए आपको देश के किसी भी हिस्से से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ आना होगा। यहां आने पर आपको मेडिकल टेस्ट करवाना होगा।

बीच में क्या-क्या आता है, कितना समय लगता है

पिथौरागढ़ के धारचूला से आदि कैलाश की यात्रा लगभग 5 दिनों में पूरी होती है। ये यात्रा पथरीले रास्तो से होकर गुजरती है, थोड़ी थोड़ी देर मे पक्की सड़क देखने को मिलती है लेकिन बीच बीच मे अचानक लैंडस्लाइड मौसम बदल जाने की वजह से होने कई जगह सड़क टूटी हुई है जिसके कारण 60 किलोमीटर की यह यात्रा लगभग 9 घंटे मे सड़क मार्ग से पूरी होती है। 
-धारचूला से 5 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद मिलता है तपोवान। 
-यहां नेपाल ओर भारत की पहाड़ियां आमने सामने है ओर बीच में बहती मां काली नदी बॉर्डर लाइन की तरह है।

Image Source : socialAdi Kailash Yatra

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रास्ते में मिलता है मालपा गांव

मालपा गांव पहुंचने से पहले तंपा इलाके के पास आपको दिखेगा एक खूबसूरत झरना जिसे मान्यताओं के हिसाब से दिव्य शक्ति का आशीर्वाद मिला हुआ है जिस वजह से ना सिर्फ ये जगह देखने मे बेहद खूबसूरत है बल्कि इस झरने पर जब सूरज की किरणे पड़ती है तो इंद्राधनुष के सभी रंग देखे जा सकते है, इस जगह पे लाखो हिन्दू श्रद्धालु हर साल आते है।

सीता पुल पर भगवान शिव ओर वेदव्यास जी का मंदिर

फिर गुंजी गांव पहुंचने से पहले बीच में पड़ता है सीता पुल जो भारत ओर नेपाल की पहाड़ियों को जोड़ता है, ये पुल लकड़ी का बना हुआ है ओर हवा मे झूलता हुआ नडर आता है। पुल को पार करते ही नेपाल सेना के जवान दिखते हैं। यहीं नेपाली पहाड़ी पर भगवान शिव ओर वेदव्यास जी का मंदिर है। 

अब आता है पार्वती सरोवर

आदि कैलाश पर्वत के साथ लगे पार्वती सरोवर के पास बने मशहूर शिव पार्वती मंदिर के दर्शन किए बिना लोग यहां से लौटते नहीं है।

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पार्वती सरोवर के पास शेषनाग पर्वत

पार्वती सरोवर के पास काली मंदिर है। इसी के पास शेषनाग पर्वत और वेदव्यास गुफा। यहां से लोग पूजा अर्चना करके गुंजी को लौट जाते हैं। 

बता दें कि इस यात्रा में 32 से 40 हजार तक का खर्च आ सकता है। इसके अलावा आपको आपको खुद को इस यात्रा के लिए फिजिकली फिट करना होगा। तभी आप इय पूरी यात्रा का आनंद ले पाएंगे। 

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