Tourist Places: हिमाचल के इस गांव में आज भी नहीं आते मोबाइल के सिग्नल, ट्रैकिंग के हैं शौकीन तो जरूर करें एक्सप्लोर
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की सबसे ठंडी जगहों में से एक पार्वती वैली पर्यटकों के बीच मशहूर है। अगर आपको ग्रहण गांव (Grahan Trek) के ट्रैक का आनंद लेना है तो इसके लिए सबसे बेस्ट टाइम अप्रैल से लेकर जून और अक्टूबर तथा नवंबर है। जुलाई-अगस्त में बारिश में पहाड़ों में जाना सबसे बड़ी बेवकूफी होती है।
Highlights
- हिमाचल के ग्रहण गांव में आज भी मोबाइल के सिग्नल नहीं आते
- ग्रहण गांव के बारे में कम ही लोग जानते हैं
- कसोल से ग्रहण का ट्रैक जाता है
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) भारत का एक ऐसा राज्य हैं जहां छुट्टियों में पर्यटक जाना पसंद करते हैं। अगर आप घूमने के शौकीन हैं तो आपने कई बार हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग गांव और इलाकों की सैर की होगी। लेकिन आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने वाले हैं जो अभी तक अनएक्सप्लोर्ड है। हम बात कर रहे हैं हिमाचल की पार्वती घाटी में बसे ग्रहण नामक गांव (Grahan Village) की। हिमाचल के कसोल के पास मौजूद ग्रहण गांव (Grahan Trek) एक बेहद खूबसूरत जगह है जहां तक पहुंचने के लिए आपको ट्रैक कर के जाना पड़ेगा। जिस तरह से कसोल युवाओं और पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है, उसी तरह ग्रहण गांव भी अब काफी फेमस हो रहा है।
आपकी फिटनेस अच्छी है तो इस बार की छुट्टियों में ग्रहण जाने का प्लान बनाएं। यहां के नजारों को देखने के बाद आपका वापस आने का भी मन नहीं करेगा। इस गांव में जाने के बाद बाहरी दुनिया से आप दूर हो जाएंगे लेकिन प्रकृति के इतने करीब हो जाएंगे की आपको अपने मोबाइल को भी देखना का मन नहीं करेगा। इस गांव में मोबाइल नेटर्वक भी नहीं आता है। ग्रहण में आपको सेब की खेती भी देखने को मिलेगी जहां आप बाग के मालिक से इजाजत लेकर ताजे सेबों का लुत्फ भी उठा सकते हैं।
कसोल से ग्रहण तक का ट्रैक करीब 10 किलोमीटर लंबा है। आपको इस ट्रैक के रास्ते में अनगिनत झरने और कुदरत के ऐसे नजारे देखने को मिलेंगे कि आपको ये सफर बिल्कुल भी लंबा नहीं लगेगा। कसोल से सफर की शुरुआत होते ही बेहतरीन नजारों का दिखना शुरू हो जाएगा। इस ट्रैक के रास्ते में ना सिग्नल आते हैं और ना ही कोई साइनबोर्ड मिलेंगे ऐसे में आप वहां के स्थानीय लोगों से पूछकर अपने सफर की शुरुआत कर सकते हैं। आपको अपने रास्ते में गांव के लोग आते-जाते मिलते रहेंगे जिनसे पूछकर आप आगे बढ़ सकते हैं। सफर की शुरुआत में एक तरफ आपके साथ-साथ नदी बहती दिखेगी जो आपके साथ आधे रास्ते तक रहेगी. इस नदी की कल-कल की आवाज के साथ जब पक्षियों की आवाज आपको सुनाई देगी को आप शहरों की भागदौड़ को बिल्कुल भूलकर सोचेंगे की आप स्वर्ग में आ गए हैं।
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इस ट्रैक पर कुछ दूरी तय होते ही आपको लकड़ी का ब्रिज मिलेगा। जिसको पार करके आप अपना आगे का सफर शुरू करेंगे। करीब 4 किलोमीटर के बाद इस ट्रैक पर आपको एक ढाबा मिलेगा जहां आप मैगी खा सकते हैं और सफर के लिए नमकीन और बिस्किट ले सकते हैं। इस ढाबे के बाद आगे आपको रास्ते में कुछ भी नहीं मिलेगा फिर सीधे गांव में पहुंचकर ही आपको दुकाने दिखेंगी। ग्रहण गांव में करीब 50 से 55 घर ही हैं और यहां लगभर 400 लोग रहते हैं।
कैसे जाएं
फ्लाइट सेः फ्लाइट से कसोल जाने के लिए सबसे निकटतम भुंतर एयरपोर्ट है। भुंतर से कसोल सिर्फ 31 किमी. की दूरी पर है जहां के लिए आपको आसानी से कैब और बस मिल जाएंगी।
ट्रेन सेः ट्रेन के लिए पठानकोट सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट से कसोल की दूरी 150 किमी. है।
वाया रोडः सड़क मार्ग से कसोल के खूबसूरत नजारों को देखते हुए जाने का मजा ही अलग है। आपको दिल्ली से हिमाचल परिवहन की बस मिल जाएगी। इसके अलावा आप कार से भी कसोल जा सकते हैं।
कहां ठहरें
हिमाचल प्रदेश के ग्रहण गांव में आप पहले से बुकिंग कर के नहीं जा पाएंगे क्योंकि इसकी सुविधा वहां अभी तक नहीं है। लेकिन आप जैसे ही ग्रहण में पहुंचेंगे तो आपको वहां कई होमस्टे और छोटे होटल दिख जाएंगे जो कि लोगों ने अपने घरों में खोल रखे हैं।
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ध्यान में रखने योग्य बातें
- इस ट्रैक की शुरुआत से पहले ही अपने घर वालों को बता दें कि जहां आप जा रहे हैं वहां सिग्नल नहीं आते ऐसे में कोई परेशान ना हो।
- यह गांव एल्कोहल फ्री गांव है, इसलिए अपने साथ शराब लेकर न जाएं।
- इस ट्रैक की शुरुआत आप कसोल से सुबह 5 या 6 बजे कर दें, जिससे आप दिन के वक्त में ही ग्रहण पहुंच जाएं।
- पहाड़ी इलाके में कब बारिश हो जाए इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता तो ऐसे में रेनकोट और कुछ खाने-पीने का सामान अपने साथ लेकर जाएं।
- अपने साथ जरूरी दवाइयां और 1 जोड़ी कपड़े जरूर लेकर जाएं क्योंकि इस गांव में हमेशा ठंडक का मौसम रहता है।