Dussehra 2018: इस दशहरे पर 3 दिन पड़ रही हैं छुट्टियां, मौका अच्छा है तो निकल जाएं इन जगहों का विजयादशमी देखने
आपको याद दिला दूं कि इस बार वीकेंड के पहले की दशहरा पड़ रहा है। यानी कि इस बार 19 अक्टूबर, शुक्रवार को दशहरा पड़ रहा है। इसके साथ वीकेंड का पूरा मजा ले सकते है। तो फिर इस बार कुछ नया चाहते है तो देख आएं इन जगहों के सबसे फेमस दशहरा।
Best Place To Visit India During Dussehra 2018: नवरात्रों के बाद विजयदशमी का त्योहार आता है। इस बार हर किसी को दशहरा का खास तौर पर इंतजार है। क्यों न हो आखिर उस दिन बुराई में अच्छाई की विजय हुई है। वैसे एक बात कहूं हर बार आप अपने शहर का दशहरा देखते है क्यों न इस बार दूसरे शहर का भी दशहरा देख लें। अब आप सोचे रहे होगे कि इतना समय कहां है तो आपको याद दिला दूं कि इस बार वीकेंड के पहले की दशहरा पड़ रहा है। यानी कि इस बार 19 अक्टूबर, शुक्रवार को दशहरा पड़ रहा है। इसके साथ वीकेंड का पूरा मजा ले सकते है। तो फिर इस बार कुछ नया चाहते है तो देख आएं इन जगहों के सबसे फेमस दशहरा।
अल्मोड़ा का दशहरा
अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव अलग ही अंदाज में मनाया जाता हैं। रावण परिवार के दो दर्जन पुतलों को बाजार में भ्रमण कराया जाता हैं। इसके साथ ही आप प्रकृति का भरपूर आनंद उठा सकते है।
कुल्लू
भले ही हिमाचल प्रदेश के लोग दशहरे के पर्व को भगवान राम की रावण पर विजय के रुप में इस त्यौहार को न मनाते हों, भले ही उनके लिये यह अपने कुल देवता की आराधना का पर्व हो लेकिन हिमाचल के कुल्लू में मनाया जाने वाला दशहरा उत्सव काफी प्रसिद्ध है। दशहरे से कई दिन पहले ही इस उत्सव की तैयारियां शुरु हो जाती हैं। कुल देवता को पालकी में बैठाकर नगर यात्राएं निकाली जाती हैं। नृत्यों का आयोजन किया जाता है। दशहरे के दिन का नजारा और भी शानदार होता है।
मैसूर
मैसूर का दशहरा भी देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। विजयदशमी के दिन पूरे मैसूर शहर की रौनक देखने लायक होती है। लाखों बल्बों की रोशनी से राजमहल जगमगा उठता है, सजे-धजे हाथियों का भव्य जुलूस पूरे शहर में निकाला जाता है। मैसूर में दशहरा उत्सव की शुरुआत चामुंडी पहाड़ियों में विराजने वाली देवी चामुंडेश्वरी के मंदिर में दीप प्रज्जवलित कर की जाती है। मैसूर दशहरे के आकर्षण का मुख्य केंद्र विजयदशमी के दिन निकलने वाली जंबो सवारी होती है जिसमें माता चामुंडेश्वरी की सवारी निकाली जाती है।
गुजरात व राजस्थान
गुजरात व राजस्थान में नवरात्र के दिनों में डांडिया नृत्य किया जाता है, देवी के प्रतीक मिट्टी से सुशोभित रंगीन घड़े को लेकर नृत्य किया जाता है। इस घड़े को ही गरबा कहा जाता है जिस कारण इस नृत्य का नाम भी गरबा नृत्य पड़ा। नृत्य के माध्यम से ही नवरात्र के दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की उपासना व आराधना की जाती है। खास बात यह भी कि नौ दिन उपवास करने के बाद दशहरे के दिन उपवास को खोला जाता है।
बस्तर का दशहरा
बस्तर में दशहरे का उत्सव देशभर में सबसे ज्यादा दिनों तक चलता है। यहां दशहरा उत्सव की शुरुआत श्रावण मास की अमावस्या से हो जाती है और आश्विन मास की शुक्ल त्रयोदशी को ओहाड़ी पर्व के साथ इस उत्सव का समापन होता है। पूरे 75 दिन तक चलने वाले इस उत्सव में मां दंतेश्वरी की आराधना की जाती है। दंतेश्वरी बस्तर के निवासियों की आराध्य देवी मानी जाती हैं और दूर्गा का ही एक रुप कही जाती हैं। इस दौरान भीतर रैनी (विजयदशमी), बाहर रैनी (रथ-यात्रा), मुरिया दरबार आदि उत्सव आकर्षण का केंद्र होते हैं।
पश्चिम बंगाल, असम, उड़िसा
पश्चिम बंगाल, असम, उड़िसा आदि राज्यों में दुर्गा पूजा का उत्सव दशहरे के रुप में मनाया जाता है। जिस प्रकार महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को लेकर उत्साह होता है उसी प्रकार इन राज्यों में विशेषकर पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के लिये भव्य तरीके से तैयारियां की जाती हैं। यहां कई दिन पहले से दुर्गा प्रतिमा के पंडाल लगने शुरु हो जाते हैं। षष्ठी के दिन दुर्गा प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है इसके बाद नवमी तक विशेष रुप से लगातार पूजा के आयोजन किये जाते हैं तत्पश्चात दशमी के दिन विशाल जुलूसों के साथ प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।