लखनऊ: भारत के प्राचीनतम ग्रंथ स्कन्द पुराण में वर्णित पाताल भुवनेश्वर की गुफा आज भी देशी-विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। पिथौरागढ़ जिले में स्थित ये गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फुट अंदर है और इसकी खोज आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन भी होते हैं।
पुराणों के मुताबिक पाताल भुवनेश्वर के अलावा कोई ऐसा स्थान नहीं जहां चारों धामों के एकसाथ दर्शन होते हैं। स्कन्द पुराण में मानस खंड के 103 अध्याय से भी पाताल भुवनेश्वर की महिमा के बारे में पढ़ा जा सकता हैं। इसके साथ ही यह पवित्र गुफा जहां अपने आप में सदियों का इतिहास समेटे हुए है, वहीं अनेक रहस्यों से भरपूर है।
गुफा का प्रवेश द्वार इतना छोटा है कि पहली नजर में देखने पर ही डर लगता है, लेकिन जंजीर के सहारे आड़े-तिरछे पत्थरों पर पैर टिकाते हुए डरते, संभलते और झुकते हुए गुफा में उतरते ही आप अपने को पाते हैं 33 करोड़ देवी-देवताओं की प्रतीकात्मक शिलाओं, प्रतिमाओं व बहते हुए पानी के मध्य और आपका दिल गदगद् हो उठता है।
इसके बाद चंद पलों में अचानक जैसे ही गाइड की आवाज गूंजती है कि आप शेष नाग के शरीर की हड्डियों पर खड़े हैं और आपके सिर के ऊपर शेष नाग का फन है तो आपको कुछ समझ नहीं आएगा लेकिन जैसे ही उस गुफा के चट्टानी पत्थरों पर नजर जाती है तो शरीर में सिरहन सी दौड़ पड़ती है और वास्तव में अनुभव होता है कि कुदरत द्वारा तराशे पत्थरों में नाग फन फैलाये है।
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