हो चुका है मूल मंदिर लुप्त
माना जाता है कि यहां का जो मूल मंदिर है वो गायब हो चुका है। इसके पीछें भी पौराणिक कथा है। इसके अनुसार नराका नाम के एक दानव को कामाख्या देवी से प्यार हो गया था और उसने मां को शादी का प्रस्ताव दे डाला, लेकिन देवी ने इसके लिए एक शर्त रखी कि अगर वो निलांचल पर्वत पर सीढ़ियां बना देगा तो वो उससे शादी कर लेंगी। नराका ने इस शर्त को मान लिया और अपने काम में लग गया। आधी रात तक उसने आधें से ज्यादा काम खत्म कर लिया तो मां को लगा कि यह शर्त जीत जाएगा। जिसके कारण मां को इससे शादी करनी पड़ेगी।
यह सोच कर मां ने एक मुर्गे का रूप घारण किया और बांग देने लगी, तो राक्षस को लगा कि सुबह हो गई है और अब वह शर्त हार गया है, लेकिन जब उसे इस बात का पता चला कि उसके साथ छल हुआ है, वह क्रोध्रित होकर उसने मुर्गे को मार देता है। जिस कारण इस पर्वत के नीचे से ऊपर जाने वाले मार्ग को आज भी नरकासुर मार्ग के नाम से जाना जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार इस मंदिर के लुप्त होने के बारें में माना जाता है कि नरकासुर के अत्याचारों से कामाख्या के दर्शन में कई परेशानियां जन्म लेने लगी थी जिसके कारण महर्षि वशिष्ट ने क्रोधित होकर इस जगह को श्राप दे दिया। जिसके कारण समय के साथ कामाख्या पीठ लुप्त हो गया।
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