Janmashtami Spl: कृष्ण आज भी रास रचाते हैं रहस्यमयी निधिवन में, रात में ठहरने वाला नहीं बचा जिंदा!
मान्यता है कि इस रहस्यमयी वन में आज भी भगवान कृष्ण राधा के साथ आधी रात को रासलीला करते हैं। इसे देखने वाला कोई जीवित नहीं बचता।
जन्माष्टमी Janmashtami 2019 का मौका है और देश भर में कृष्ण Shree Krishna भक्ति का माहौल है। मथुरा वृंदावन के साथ साथ देश के समूचे मंदिरों में जन्माष्टमी की रात को श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। कृष्ण राधा Radha के बिना अधूरे हैं और इन दोनों के बिना अधूरा है मथुरा और वृंदावन का गौरवमयी इतिहास। अगर ऐसे में वृंदावन के रहस्यमयी औऱ अलौकिक निधिवन Nidhivan की बात न की जाए तो कुछ कमी लगेगी। जी हां, वृंदावन का प्रसिद्ध निधिवन जिसके बारे में मान्यता है कि यहां आज भी हर रात कृष्ण और राधा Radha krishna रास करने आते हैं,अपने आप में रहस्यमयी और अलौकिक है।
निधिवन वृंदावन के नजदीक बसा एक छोटा से वन है। यहां के बारे में कहा जाता है कि आधी रात को यहां कृष्ण गोपियों और राधा के साथ यहां रास रचाने अब भी आते हैं। दिन में यहां पर्यटकों की भीड़ रहती है और शाम होते ही यहां के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
प्रशासन के अनुसार यहां रात को रुकना प्रतिबंधित है। यहां तक रात होते ही मंदिर के पुजारी और सुरक्षा गार्ड भी बाहर चले जाते हैं। वृंदावन में सबसे ज्यादा बंदर इसी वन में रहते हैं लेकिन शाम गहराते ही एक एक बंदर इस वन को छोड़कर चला जाता है। रात में यहां क्या होता है इसका कोई गवाह नहीं, ना ही आज तक कोई इस बात का साक्ष्य जुटा पाया।
कहते हैं कि कुछ अति जिज्ञासी लोगों ने यहां रात को रुकने की कोशिश की औऱ वो हमेशा के अंधे और गूंगे हो गए। हालांकि इसका प्रमाण नहीं मिल पाया है लेकिन कुल मिलाकर अपने आप में भगवान कृष्ण से जुड़े रहस्य समेटे इस निधिवन को लेकर कई तरह की बातें यहां प्रचलित हैं।
एक वक्त मंदिर के मुख्य पुजारी रहे गिरीश पंडित ने बताया कि जिस किसी ने भी निधिवन में रात को रुकने की हिम्मत की, वो 24 घंटों से ज्यादा जीवित नहीं रह पाया। पंडित कहते हैं कि रात में रुकने वाले ने भगवान कृष्ण के साक्षात दर्शन तो प्राप्त किए और उनकी अपार ऊर्जा सहन नहीं कर पाया और अंधा हो गया या मर गया। ऐसे कई लोगों की समाधि इस परिसर में मौजूद है, जिनके बारे में दावा किया गया कि वो रात भर निधिवन में रुके।
सबसे बड़ा सवाल उठता है निधिवन में मौजूद 16000 पेड़ों और लताओं का। आमतौर पर पेड़ों की शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती हैं जबकि निधिवन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती है और एक दूसरे पेड़ की शाखाओं से गुंथ जाती हैं। इन्हें स्थानीय नागरिकों द्वारा श्रीकृष्ण की 16000 रानियां बताया गया है। यहां सदियों से रह रहे स्थानीय नागरिक दावा करते हैं कि रात को यहां भगवान कृष्ण और राधा का रास होता है। सोलह हजार रानियां रात को भगवान संग रास करती हैं और सुबह होते ही निधिवन में मौजूद पेड़ों और लताओं में तब्दील हो जाती हैं।
यहां के पुजारी चेताते हैं कि अगर जाते वक्त पर्यटक या भक्त किसी पेड़ की लता या पत्तियों को साथ ले गए तो उनका अहित हो जाता है। इसलिए वन से बाहर निकलने वाले यहां से एक पत्ती तक तोड़कर नहीं लाते।
ढाई एकड़ में फैले निधिवन को मधुवन भी कहते हैं, यहां वन के बीचों बीच एक कमरा है जिसे रंग महल कहा जाता है। मंदिर के पुजारी शाम सात बजे इस रंग महल में भगवान के भोग की हर चीज, चंदन के पलंग पर नई चादर, दातुन, श्रंगार का सामान पान, मिठाई इत्यादि रखकर चले जाते हैं। कमरे के दरवाजे पर एक मोटा ताला जड़ दिया जाता है।
सुबह पांच बजे जब रंग महल के द्वार खुलते हैं तो पान आधा खाया हुआ मिलता है और दातुन चबाया हुआ। मिठाई भी खाई हुई मिलती है और बिस्तर पर सलवटें होती हैं। मंदिर के पुजारी कहते हैं कि खुद भगवान कृष्ण यहां रात को रास रचाने आते हैं और प्रसाद का भोग लगाते हैं।
निधिवन परिसर को़ संगीत सम्राट एवं धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी बसाया था। कहा जाता है कि केवल वो ही राधा कृष्ण की रासलीला देख पाते थे। आज भी परिसर में उनकी जीवित समाधि मौजूद है। भक्त गण निधिवन में रंग महल के अलावा बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधारानी बंशी चोर आदि दर्शनीय स्थान देख सकते हैं।