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Hindi News लाइफस्टाइल सैर-सपाटा Janmashtami 2018: वीकेंड में जन्माष्टमी मनाने जाएं वृंदावन, लेकिन न भूलें इन जगहों पर जाना

Janmashtami 2018: वीकेंड में जन्माष्टमी मनाने जाएं वृंदावन, लेकिन न भूलें इन जगहों पर जाना

वृंदावन और मथुरा के कण-कण में भगवान कृष्ण का वास है। जन्माष्टमी में यहां की रौनक देखते ही बनती है। इस बार जन्माष्टमी तो वीकेंड में पढ़ रही है। अगर आप वृंदावन जाना चाहते है तो इन जगहों पर जरुर जाएं। जिससे कि आपको आनंद की प्राप्ति हो।

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नई दिल्ली: वृंदावन का नाम सुनते ही हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है। एक अलग ही अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है। हो भी क्यों न आखिरी राधा-कृष्ण की प्रेम भूमि है। जहां हर जगह सिर्फ और सिर्फ राधे-कृष्ण की गूंज ही सुनाई देता है। वृंदावन और मथुरा के कण-कण में भगवान कृष्ण का वास है। जन्माष्टमी में यहां की रौनक देखते ही बनती है। इस बार जन्माष्टमी तो वीकेंड में पढ़ रही है। अगर आप वृंदावन जाना चाहते है तो इन जगहों पर जरुर जाएं। जिससे कि आपको आनंद की प्राप्ति हो।

वृंदावन क्यों है खास?
वृंदावन यू हीं इतना खास नहीं है। इसके पीछे भी एक कहानी छिपी हुई है। एक बार भगवान नारायण ने प्रयागराज को सभी तीर्थों का राजा बना दिया। अत: सभी तीर्थ प्रयागराज को कर देने आते थे। एक बार नारद जी ने प्रयागराज से पूछा 'क्या वृंदावन भी आपको कर देने आते हैं? इस पर तीर्थराज ने नकारात्मक उत्तर दिया तो नारद जी बोले 'फिर आप तीर्थराज कैसे हुए? इस बात से दुखी होकर तीर्थराज भगवान विष्णु के पास गए, भगवान ने उनके आने का कारण पूछा। (Janmashtami 2018: चाहिए प्यार के साथ तरक्की और सुख-शांति, जन्माष्टमी के दिन करें राशिनुसार ये खास उपाय )

Vrindavan

तीर्थराज बोले, 'प्रभु! आपने मुझे सभी तीर्थों का राजा बनाया है लेकिन दूसरों की तरह वृंदावन मुझे कर देने क्यों नहीं आते? भगवान ने मुस्कुराते हुए प्रयागराज से कहा, 'मैंने तुम्हें सभी तीर्थों का राजा बनाया है, अपने घर का नहीं। वृंदावन मेरा घर है और किशोरी जी (राधा) की विहार स्थली। मैं सदा वहीं निवास करता हूं। (Janmashtami Date and Muhurat: जन्माष्टमी का यह है शुभ मुहूर्त और तिथि, इस दिन रखें आप व्रत )

बांके बिहारी मंदिर
जन्माष्टमी में सबसे ज्यादा उतस्वन तो बांके बिहारी मंदिर में मनाया जाता है।  यहां भगवान की श्याम रंग की मूर्ति बेहद आकर्षित करती है जिसकी आंखों की चमक दूर से ही दिखती है। इस मूर्ति के बारे में ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इसे भगवान कृष्ण ने अपने प्रिय भक्त स्वामी हरिदास को सौंपा था। वह भी तब जब वह भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन थे।

निधिवन
बांके बिहारी मंदिर के बेहद करीब निधिवन है। यहां का वातावण आपको अलग ही नजर आएगा। यहां पर आज भी शाम के बाद किसी भी व्यक्ति को रुकने की मनाही है। इतना ही नहीं यहां के आसपास के दरवाजे बी बंद हो जाते है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण यहां पर गोपियों के साथ रासलीला करते है। इसी निधिवन में कान्हा के परम भक्त स्वामी हरिदास उनके साक्षात दर्शन किया करते थे। इसी निधिवन में जो मूर्ति स्वंय प्रकट हुई वह वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में मौजूद है। निधिवन के रहस्य को आजतक कोई भी नहीं समझ सका है।

प्रेम मंदिर

इस मंदिर का नजारा ही अलौकिक होता है। मंदिर में रंग-बिंरगी लाइटे आपका मन मोह लेगी। अंदर भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत मूर्ति के दर्शन कर आपको खुद को ध्नय मानेंगें। इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने किया था। यह 54 एकड़ में फैला हुआ है। इसे बनाने में 1000 आर्टिस्ट के साथ 12 साल लगे थे। इस मंदिर को जन्माष्टमी पर विशेष तौर पर सजाया जाता है।

इस्कॉन टेंपल
यहां पर एक अंग्रेंजो द्वारा बनवाया गया भव्य इस्कॉन टेपंल भी है। जहां पर आपको भारतीय श्रृद्धाओं के साथ-साथ विदेशी श्रृद्धालु भी मिल जाएगे। यहां का वातावरण बहुत ही मनोरम होता है। चारों और सिर्फ हरे रामा..हरे कृष्णा ही सुनाई देता है। यहां आपको काफी शांति महसूस होगी।

बरसाना
बरसाना में प्रभु कृष्ण का बचपन बीता था। इस कस्बे को श्रीकृष्ण की आहलादिनी शक्ति या प्रेमिका राधा रानी की नगरी कहा जाता है। इसका प्रचीन नाम वृषभानपुर और वृहत्सानौ है। बरसाना को ब्रजयात्रा के पड़ाव स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यहां राधारानी का मंदिर, राधिकाजी का महल, जयपुर वाला मंदिर के अलावा चित्र-विचित्र शिलाएं देखने योग्य स्थान हैं। इसके अलावा राधागोपाल जी का विशाल मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।

अन्य दर्शनीय स्थल
इन मंदिरों के अलावा यहां पर और भी काफी दर्शनीय स्थल है। राधा-दामोदर, श्यामसुंदर, राधा-रमण, गोपेश्वर महादेव मां कात्यायनी, निधिवन, सेवाकुंज, इमलीतला, शृंगारवट, श्रीरंगजी का मंदिर, मीराबाई मंदिर, अष्ट सखी मंदिर आदि है।

आप चाहें तो मथुरा की और भी रुख कर सकते है। या पहले घूमकर यहां आप सकते है।

कैसे पहुंचे
दिल्ली से बस के द्वारा आप सीधे मथुरा पहुंत सकते है। इसके बाद आप यहां से वृंदावन जा सकते है। जिसकी दूरी करीब 15 किलोमीटर है। वृंदावन जाने के लिए आपको मथुरा से टैक्सी, ऑटो आराम से मिल जाएंगे।

अगर आप खुद के ट्रांसपोर्ट से जा रहे है तो सीधे हाइवे पकड़ पहुंच सकते है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जन्माष्टमी में यहां बहुत अधिक भीड़ होती है। इसलिए खुद के वाहन से जाने से बचें। नहीं तो पार्किंग की समस्या भी हो सकती है या फिर ट्रैफिक में फंस सकते है।

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