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Hindi News लाइफस्टाइल सैर-सपाटा देहरादून जाने का है प्लान, तो न भूलें इन जगहों पर जाना

देहरादून जाने का है प्लान, तो न भूलें इन जगहों पर जाना

देहरादून जहां चारों ओर पर्वत, हरियाली और सुकून है। शायद वो कही न हो। जो अगर आप भी प्लान बना रहे हैं। देहरादून जाने का तो एक बार जरुर जाएं इन जगहों पर।

Dehradun- India TV Hindi Image Source : INSTRAGRAM Dehradun

नई दिल्ली: दुनियाभर में तमाम ऐसी जगह है जहां पर आप सैर कर सकते है। लेकिन अगर आप सोच रहे है कि अपने देश में ही ऐसी जगह पर जाएं जहां पर प्रकृति का अनुभव बिल्कुल नजदीक से हो। इसके साथ ही हर टेंशन छूमंतर हो जाएं। तो हम आपको ले चल रहे है एक ऐसी जगह। जो कि हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है। जी हां देहरादून। जहां चारों ओर पर्वत, हरियाली और सुकून है। शायद वो कही न हो। जो अगर आप भी प्लान बना रहे हैं। देहरादून जाने का तो एक बार जरुर जाएं इन जगहों पर।

आसन बैराज
आसर बैराज 2 नदियों का संगम है। यानी कि आसन और यमुना का संगम बिंदु पर स्थित है। बैराज से 4 वर्ग मीटर में फैली आर्द्रभूमि है। जो कि आसन नदीं से भरी हुई है। यह जगह पर विभिन्न प्रवासी के पक्षी देखने को मिल जाते है। यहां पर करीब 90 प्रतिशत पक्षी दुर्लभ होते है।

जिनमें आप मल्लाड्र्स, रेड क्रेस्टेड पोचाड्र्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ऑसप्रे और स्टेपी ईगल्स को देख सकते हैं। इन पक्षियों को देखने का सबसे अच्छा माह अक्टूबर से नवंबर और फरवरी से मार्च है।

Buddha temple

बुद्धा टेंपल
राजधानी दून की आईएसबीटी से महज कुछ किमी की दूरी पर यह टेंपल स्थित है। इसे बुद्धा मॉनेस्ट्रा या बुद्धा गार्डन के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना तिब्बती समुदाय द्वारा 1965 ईं में कराया गया था।  जानकारी के अनुसार इस गोल्डन टेंपल को कलर देने के लिए पचास कलाकारों ने 3 साल लंबा काम किया था।

क्लॉक टॉवर
देहरादून शहर में क्लॉक टॉवर एक लोकप्रिय ऐतिहासिक स्मारक है। यह राजपुर रोड पर स्थित है और शहर का एक प्रमुख आकर्षण है। टॉवर एक महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक प्रासंगिकता रखता है और ब्रिटिश स्थापत्य शैली का एक सही चित्रण है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस टावर की घड़ी के घंटे की ध्‍वनि दूर स्थानों से सुनी जा सकती है। वर्तमान में, छह-मुखी टॉवर कार्यात्मक नहीं है, लेकिन फिर भी हर दिन स्थानीय दर्शकों और पर्यटकों की बड़ी संख्या को आकर्षित करता है।

एफआरआई
देहरादून क्लॉक टॉवर से महज सात किलोमीटर की दूरी स्टेट का एक मात्र सबसे ओल्डेस्ट इंस्टीट्यूट स्थित है। एफआरआई के इतिहास बारे में बात की जाए तो ब्रिटिश काल में 1878 में ब्रिटिश इंपीरियल वन स्कूल स्थापित किया गया। फिर 1906 में ब्रिटिश इंपीरियल वानिकी सेवा के तहत इंपीरियल वन अनुसंधान संस्थान (आईएफएस) के रूप में पुर्नस्थापना हुई। 450 हेक्टेअर में फैला एफआरआई में कुल सात म्यूजियम हैं। जिसमें वनस्पति विज्ञान से तत्वों को संग्रह किया गया है। वैसे तो एफआरआई का बॉलीवुड कनेक्शन भी गजब है। कई बड़े फिल्म निर्माता एफआरआई कैंपस में फिल्म की शूटिंग कर चुके हैं। जैसे धर्मा प्रोडक्शन के तहत स्टूडेंट ऑफ द ईयर, तिग्मांशू धूलिया की पान सिंह तोमर जैसी बड़ी फिल्में एफआरआई में शूट हो चुकी हैं।

गुच्चुपानी या रावर्स केव
यह पहाड़ो के बीच बनी एक केव है। जहां गर्मियों के मौसम में बारी भीड़ होती है। यहां पर सबसे ज्यादा अक्ट्रेक्ट करने वाली चीज है। वो है पहाड़ों के बीच बनी इस गुफा के बीच से गिरता हुआ झरना।

माल देवता
प्रकृति के गोद में बसा माल देवता दृश्य देखते ही बनता है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेती है। कहते हैं कि देहरादून आए और माल देवता नहीं गए तो आपने बहुत कुछ मिस कर दिया। माल देवता में पहाड़ों से गिरने वाले छोटे-छोटे झरने टूरिस्ट को अट्रैक्ट ही नहीं बल्कि उन्हें वहां वक्त गुजारने पर मजबूर कर देता है।

टपकेश्वर मंदिर
अगर आपका मन भगवान शिव का दर्शन करने का है, तो आप टपकेश्वर मंदिर जा सकते हैं। यह देहरादून शहर के बस स्टैंड से 5.5 किमी दूर स्थित एक तमसा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर गुफा में एक शिवलिंग है और गुफा की छत से पानी टपकता रहता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है। मंदिर के चारों ओर सल्फर वाटर का झरना गिरता है। सल्फर वाटर स्किन संबंधी बीमारी के लिए काफी लाभदायक होता है।

ये भी है टूरिस्ट प्लेस
इन जगहों के अलावा आऐप देहरादून में राजाजी नेशनल पार्क, सहस्त्रधारा,गुरु राम राय दरबार साहिब, मालसी डीयर पार्क, लक्ष्मण सिद्ध मंदिर आदि जगहों की भी सैर कर सकते हैं।

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